केंचुआ खाद के इस्तेमाल से होगा लाखों का मुनाफा

केंचुआ खाद फसलों के लिए वरदान साबित हो रहा है. केंचुआ खाद के अनगिनत फायदे होते हैं. इसका इस्तेमाल से फसलों की गुणवत्ता पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है.

 

खाद बनाने की पूरी विधि

रासायनिक खाद का इस्तेमाल ना सिर्फ भूमि की उर्वरता शक्ति को कम करता है, बल्कि हम सभी के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर छोड़ता है.

इसी के तहत आज कल के किसान खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं.

खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल फसलों के लिए वरदान माना जा रहा है.

ऐसे में आज हम आपको वर्मीकम्पोस्ट यानि केंचुआ खाद के बारे में विशेष जानकारी देने जा रहे हैं.

जिसके इस्तेमाल से फसलों की उपज और गुणवत्ता में अच्छा सुधार हो सकता है.

तो चलिए जानते हैं वर्मीकम्पोस्ट खाद तैयार करने की विधि के बारे में.

 

केंचुआ खाद बनाने के लिए जरुरी बात

वर्मीकम्पोस्ट खाद को आप अपने घरों में भी आसानी से तौयार कर सकते हैं, बस आपको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी.

केंचुआ खाद बनाने के लिए आपको सबसे पहले इस बात का ख़ास ध्यान रखना होगा कि ऐसी जगह का चुनाव करें जहां अँधेरा अधिक हो, स्थान का तापमान गर्म हो.

इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उस स्थान पर सूर्य की किरणें सीधी आती हो.

केंचुआ खाद तैयार करने की विधि

  • सबसे पहले केंचुआ खाद बनाने के लिए 6 X 3 X 3 फीट के गड्ढे बनाएं.
  • इसके बाद इन गड्डों पर दो से तीन इंच आकार के ईंट या पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों की तीन इंच मोटी परत बिछाएं.
  • अब इस पत्थर के परत के ऊपर तीन इंच मोटी बालू की परत बिछाएं.
  • इसके बाद बालू मिट्टी की परत के ऊपर 6 इंच की मोटी परत दोमट मिट्टी की बिछाएं.
  • मिट्टी की मोटी परत के ऊपर पानी छिड़क कर मिट्टी को 50 से 60 प्रतिशत नम करें.
  • इसके बाद 1000 केंचुआ प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में छोड़ दें. इसके बाद मिट्टी की मोटी परत के ऊपर गोबर या उपले थोड़ी-थोड़ी दूर 8 से 10 जगह पर डाल दें और फिर उसके ऊपर तीन से चार इंच की सूखे पत्ते, घास या पुआल की मोटी तह मोटी परत बिछा दें.
  • इसके बाद महीने भर बाद टाट के बोरों, ताड़ या नारियल के पत्तों को हटाकर इसमें वानस्पतिक कचरे को या सूखे वानस्पतिक पदार्थों के साथ 60:40 के अनुपात में हरा वानस्पतिक पदार्थ मिलाकर दो से तीन इंच मोटी परत फैला दें. अब इसके उपर 8 से 10 गोबर के छोटे-छोटे ढेर को रख दिया जाता है.
  • गड्ढा भर जाने के 45 दिन बाद केंचुआ खाद बन कर तैयार हो जाती है.

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