गर्मी में बाजरे की खेती के लिए यह हैं उन्नत किस्में

किसान गर्मी के सीजन में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने पर कई फसलों की खेती कर सकते हैं इसमें ग्रीष्मकालीन बाजरा भी शामिल है। कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जायद सीजन में अधिक पैदावार देने वाली बाजरे की किस्में विकसित की गई है, जिसकी खेती किसान कर सकते हैं।

बाजरे की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। भलीभाँति समतल व जीवांश वाली मृदा में बाजरा की खेती करने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

 

किसान इस तरह करें बुआई

बाजरे की खेती के लिए अच्छे जल निकास की व्यवस्था होना चाहिए क्योंकि बाजरे की फसल अधिक पानी सहन नहीं कर सकती है।

किसान बाजरे की बुआई मार्च की शुरुआत से लेकर अप्रैल महीने के प्रथम पखवाड़े तक कर सकते हैं।

बाजरे की फसल एक परपरागित फसल है और इसके परागकण 46 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी जीवित रह सकते हैं।

 

यह है ग्रीष्मकालीन बाजरे की उन्नत किस्में

किसान गर्मी के मौसम में बाजरे की संकर प्रजातियाँ जैसे जी.एच.बी 558, जी.एच.बी 86, एम- 52, डी.एच- 86, आईसीजीएस-44, आईसीजीएस-1, आर-9251, टीजी-37, आर-8808, जी.एच.बी.-526, पी.बी. 180 लगा सकते हैं।

वहीं संकुल किस्मों में पूसा कंपोजिट- 383, आईसीटीपी 8203, राज. 171 व आई.सी.एम.वी. 221 क़िस्मों का चयन कर सकते हैं।

वहीं बाजरे की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 4 से 5 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहता है।

बुआई के समय पंक्तियों की आपसी दूरी 25 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

बाजरे के बीजों को 2 सेंटीमीटर से ज्यादा गहराई पर नहीं बोना चाहिए।

 

ग्रीष्मकालीन बाजरे में कितना खाद डालें

किसानों को अपने खेतों में मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही खाद-उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए।

सामान्यतः बाजरे की संकर किस्मों में किसान 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश एवं संकुल किस्मों में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस एवं 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

ग्रीष्मकालीन बाजरे की फसल में 4 से 5 सिंचाइयाँ पर्याप्त होती है।

किसान यह सिंचाई 10 से 15 दिनों के अंतराल पर कर सकते हैं।

किसान बाजरे की फसल में कल्ले निकलते समय एवं फूल आते समय खेतों में पर्याप्त नमी बनाकर रखें।

WhatsApp Group Join Now

Leave a Comment