हमारे देश में मूंगफली के दानों के साथ ही इसका तेल पसंद करने वाले बहुत ज्यादा लोग हैं, जिससे इसकी मांग बाजार में वर्ष भर रहती है। देश के कई राज्यों में किसान मूंगफली की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसकी खेती में केवल 4 महीनों का समय ही लगता है।
किसान मूंगफली की खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल कर कम लागत में अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
यह हैं नई उन्नत किस्में
किसान गर्मी के दिनों में खाली पड़े खेतों में ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
किसान गर्मी के सीजन में मूंग, उड़द, सूरजमुखी के साथ ही मूंगफली की खेती भी कर सकते हैं।
मूंगफली की खेती के लिए दोमट बलुई या हल्की दोमट मिट्टी अच्छी रहती है।
ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बुआई आलू, मटर तथा राई की कटाई के बाद खाली खेतों में सफलतापूर्वक की जा सकती है।
ग्रीष्मकालीन मूंगफली की उन्नत क़िस्में कौन सी हैं?
किसान गर्मियों में मूंगफली की खेती करने के लिए ग्रीष्मकालीन मूंगफली की उन्नत किस्में जैसे अवतार (आईसीजीवी 93468), टीजी-26, टीजी-37, डी.एच. 86, टीपीजी-1, सजी-99, टाइप-64, टाईप-28, चंद्रा, उत्कर्ष, एम-13, अम्बर, चित्रा, कौशल एवं प्रकाश आदि का चयन कर सकते हैं।
ग्रीष्मकालीन मूंगफली की एसजी-84, और एम-522 किस्मों की बुआई सिंचाई की उचित व्यवस्था होने पर अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक गेहूं की कटाई के तुरंत बाद तक की जा सकती हैं।
यह किस्में अगस्त से सितंबर के दौरान कटाई के लिए तैयार भी हो जाती हैं।
कीट-रोगों से बचाने के लिए इस तरह करें बीजोपचार
बुआई से पहले किसान मूंगफली के बीज को थीरम 2.0 ग्राम और 1.0 ग्राम कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत धूल के मिश्रण को 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज अथवा थायोफिनेट मिथाइल 1.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज अथवा ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम + 1 ग्राम कॉर्बोकसिन प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित करना चाहिए।
इस शोधन के 5-6 घंटे बाद बोने से पहले बीज को मूंगफली के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए।
एक पैकेट 10 किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त होता है। कल्चर को बीज में मिलाने के लिए आधा लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ घोल लें।
फिर इस घोल में 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर, जिससे बीज के ऊपर हल्की सी परत बन जाए। इस बीज को छाया में 2-3 घंटे सुखाकर बुआई करें।
बुआई सुबह या शाम को 4 बजे के बाद ही करें क्योंकि तेज धूप में कल्चर के जीवाणु मरने की आशंका रहती है।
मूंगफली में कितनी खाद डालें
किसानों को मूंगफली की फसल में खाद-उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए।
यदि राई एवं मटर की खेती के बाद ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती की जा रही है तो बुआई से पहले 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालनी चाहिए।
आलू तथा सब्जी मटर की फसलों में यदि गोबर की खाद प्रयोग की गई है तो गोबर की खाद डालने की आवश्यकता नहीं है।
राई तथा मटर की खेती के बाद उगाई जा रही मूंगफली में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश तथा 200 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करनी चाहिए।
ग्रीष्मकालीन मूँगफली में नाइट्रोजन की अधिक मात्रा का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक नाइट्रोजन के प्रयोग से फसल देरी से पकती है।
नाइट्रोजन, फास्फेट एवं पोटाश की पूरी मात्रा कुंडों में बुआई के समय बीज से लगभग 2-3 से.मी. गहरी डालनी चाहिए।
जिप्सम की शेष आधी मात्रा मूंगफली में फूल निकलते तथा खूंटी बनते समय टॉप ड्रेसिंग करके प्रयोग करनी चाहिए।