बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है.
हालांकि, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के दावा किया है कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, यूपी में गेहूं की नई प्रजातियों की बुवाई के चलते उत्पादन में गिरावट नहीं आएगी.
होगी बंपर पैदावार
देशभर के कई राज्यों में किसानों पर बारिश-ओलावृष्टि की मार पड़ी है. इसका असर गेहूं की पैदावार पर भी पड़ा है.
तमाम राज्यों के किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
हालांकि, आपको बता दें कि भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान गेहूं की कई ऐसी वैरायटियों को विभिन्न राज्यों में प्रयोग के तौर पर लगाया था,
जिनपर मौसम की विपरीत परिस्थितियों का असर नहीं हुआ है.
गेहूं की इन वैरायटीज पर नहीं पड़ा मौसम का असर
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, यूपी में गेहूं की नई प्रजातियां डीबी डब्ल्यू 327,332,372,371, 370 प्रयोग के तौर पर लगाए गए थे.
मौसम में विपरित परिस्थितियों के बावजूद गेहूं की पैदावार में कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया.
गेहूं की ये प्रजातियां वातावरण के प्रति सहनशील रहीं. विपरीत परिस्थितियों में गेहूं का उत्पादन रिकार्ड स्तर तक जाएगा.
प्रति एकड़ 30 से 35 क्विंटल की पैदावार
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक, बदलते मौसम के चलते हम आशंकित थे कि पैदावार में गिरावट आ सकती है.
हालांकि, जो रिपोर्ट मिली है, वह काफी अच्छी है. किसानों ने बताया है कि उन्हें प्रति एकड़ 30-30 क्विंटल की पैदावार हासिल हो रही है.
टूटेगा गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड
भारत सरकार ने गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य 112 मिलियन टन निर्धारित किया है.
डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं कि इस साल इससे भी ज्यादा गेहूं का उत्पादन होगा.
साल 2020-2021 में गेहूं का उत्पादन 109 मिलियन टन था. वहीं, 2021,202 में गेहूं का उत्पादन 107 मिलियन टन रहा था.
बारिश ओलावृष्टि से गिर गई थी गेहूं की फसल
बेमौसमी बरसात और ओलावृष्टि के साथ तेज हवाओं से गेहूं की फसल गिर गई थी.
कृषि वैज्ञानिक उत्पादन में बंपर गिरावट की आशंका जता रहे थे.
डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार इस बार किसान वैज्ञानिकों की बातों को मानकर आगे बढ़ रहा हैं.
जिससे इस बार गेहूं के सभी रिकार्ड ध्वस्त हो जाएंगे.
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