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फफूँदजनित रोग पर जैविक व रासायनिक उपायों से ऐसे करें नियंत्रण

भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान- इंदौर द्वारा सोयाबीन की फसल के लिए सोयाबीन कृषकों को सलाह दी गई है।

सोयाबीन फसल में लगने वाले फफूँदजनित रोग पर जैविक व रासायनिक उपायों से ऐसे करें नियंत्रण

 

सोयाबीन फसल में लगने वाले रोग

वर्तमान में सोयाबीन की खेती किये जाने वाले क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल  फूल आने की अवस्था में है।

ऐसे में फसल पर कई प्रकार के कीटों एंव वायरस रोग का प्रकोप देखा जा रहा हैं।

अतः कृषकों को सलाह हैं कि वे अपनी सोयाबीन फसल की सतत निगरानी करें तथा फफूंदीजनत रोग के लक्षण दिखने पर निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाये।

 

फफूँदजनित रोग से बचाव के लिए जैविक उपाय

कुछ क्षेत्रों में फफूंदजनित रोगों के साथ साथ इल्लियों द्वारा फूलों को खाने के समाचार प्राप्त हुए है।

अतः कीट एवं रोगों से फसल की सुरक्षा हेतु अनुशंसित कीटनाशकों/फफूंदनाशकों का छिड़काव करें, भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो।

 

फफूँदजनित रोग से बचाव के लिए रासायनिक उपाय

कृषकों को सलाह है कि फफूंदजनित रोगों से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625मिली/हे) या

टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250 ग्राम/हे) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP(1250 ग्राम/हे) या

पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l +पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्रा/हे.) या

पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50g/lSE (750 मिली/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों में से किसी एक का सुरक्षात्मक छिडकाव करें।

इससे एन्थ्राक्नोज, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंदजनित रोगों का नियंत्रण हो  सकेगा।

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