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छोटे किसानों को अमीर बना रही है ये खास तकनीक

एकीकृत खेती करने के लिये किसानों को न अलग से खर्च करना होगा और न ही किसी तरह का नुकसान होता है, क्योंकि खेती का कचरा खेती में ही काम आ जाता है.

 

कम खर्च में लखपति बनने का नुस्खा

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसानों को खेती के उन तरीकों को अपनाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है, जिनसे खेती के खर्च कम हों और आमदनी बढ़ सके.

एकीकृत कृषि प्रणाली भी ऐसा ही मॉडल है, जिसमें किसानों को एक ही खेत में तरह-तरह की फसलें उगाने, खाली बचे खेत में पशुपालन, तालाब बनाकर मछली पालन और घर के पीछे मुर्गी पालन जैसे काम करने की सहूलियत मिल जाती है.

जाहिर है कि छोटे और सीमांत किसानों के पास खेती योग्य जमीन की कमी होती है.

ऐसी स्थिति में किसी एक फसल को लगाने पर काफी जोखिम रहता है.

वहीं अगर छोटे किसान एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाते हैं, तो उन्हें खेती के अलावा भी आमदनी का बेहतर स्रोत मिल जायेगा.

 

क्या है एकीकृत खेती के फायदे

कम लागत वाली खेती की इस आधुनिक तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यही है कि किसानों को छोटी-सी जमीन में खेती के साथ-साथ दूसरे काम करने पर दोगुना आमदनी हो जाती हैं.

एकीकृत खेती करने के लिये किसानों को ना अलग से खर्च करना होगा और न ही किसी तरह का नुकसान होता है, क्योंकि खेती का कचरा खेती में ही काम आ जाता है.

उदाहरण के लिये खेती के साथ-साथ पशुपालन करने पर पशुओं के गोबर से बनी खाद खेतों में काम आती है.

  • दूसरी तरफ खेत से निकला फसल का चारा, पुआल और पत्ते पशुओं के लिये पोषण का काम करते हैं.
  • कई किसान गन्ना और सरसों की खेती के साथ मधुमक्खी पालन करते हैं, क्योंकि इन फसलों से अच्छी क्वालिटी का शहद उत्पादन होता है.
  • खेती के साथ मछली और मुर्गी पालन करने पर फसल से दाना और पानी का इंतजाम हो जाता है.
  • खेत में अनाजी फसल के साथ सब्जियों की खेती या दलहनी फसलों की खेती कर सकते हैं.
  • बता दें कि दलहनी फसलों की खेती के बाद मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ जाती है, जिस पर सब्जियों की खेती करके अच्छी क्वालिटी का उत्पादन ले सकते हैं.
  • सब्जियों के खेत में मेड़ों पर मसालों की खेती या अनाजों के साथ मेड़ों पर सब्जियों की खेती करके ज्यादा उपज हासिल कर सकते हैं.
  • बढ़ती आबादी के दौर में एकीकृत खेती के जरिये कम समय में अधिक उपज ले सकते हैं.
  • इस तकनीक से किसानों की पर्सनल जरूरतें भी पूरी हो जाती हैं और बाजार में अलग-अलग चीजें बेचकर अच्छी कमाई भी मिलने लगती है.

 

कृषि विशेषज्ञों से करें सलाह-मशवरा

एकीकृत खेती शुरु करना बेहद आसान है, ये वन टाइम इनवेस्टमेंट का फॉर्मुला है,

जिसमें फसल की किस्में, पशुओं की नस्ल, पोल्ट्री का स्थान,  मछलियों की किस्म के साथ-साथ तालाब-तबेले बनाने और बाजार मांग का भी ध्यान रखना होता है.

इससे किसानों के लिये एकीकृत खेती से निकली उपज की बिक्री करना आसान हो जाता है, लेकिन एकीकृत खेती शुरु करने के लिये कृषि विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा करना फायदेमंद रहता है.

कृषि विशेषज्ञ किसान के बजट और जमीन के हिसाब से खेती में सही चीजों को जोड़ने की सलाह देते हैं, जिससे किसानों को काफी मदद मिलती है.

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