आज हम आपको मक्के की ग्लास जेम कॉर्न किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं.
ये किस्म अमेरिका में सबसे पहले उगाई गई थी. लेकिन वर्तमान समय में कई अन्य देशों में भी इसका बड़ा उत्पादन होता है.
शारीरिक लाभों में भी यह किस्म बहुत लाभकारी होती है,
किसानों में बढ़ रही इसकी खेती की मांग
आपने मक्का की बहुत सी उन्नत किस्मों के बारे में बहुत सुना होगा, लेकिन आज हम आपको अमेरिका के एक ऐसे सतरंगी मक्के की किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज कल लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
मक्के की इस किस्म को ग्लास जेम कॉर्न के नाम से जाना जाता है.
दरअसल यह किस्म भारत में नहीं बल्कि सबसे पहले अमेरिका में उगाई गई थी लेकिन इसके रंग बिरंगे दानों ने इसे आज कई देशों में पसंदीदा बना दिया है.
भारत में बहुत से किसान आज इस किस्म से मोटा पैसा भी बना रहे हैं.
ग्लास जेम कॉर्न की खेती वर्तमान समय में कहीं भी की जा सकती है.
तो चलिए आज हम आपको ग्लास जेम कॉर्न के बारे में विस्तार से बताते हैं –
कैसे हुआ इस किस्म का विकास
मक्के की इस किस्म के विकास के पीछे की कहानी भी सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच जानना जरूरी है.
इसके विकास का श्रेय अमेरिका के एक किसान कार्ल बांर्स ने किया था.
दरअसल उस समय उसने अपने मक्के के खेत मवन लगी हुई ओक्लाहोमा नामक मक्के की किस्म के साथ प्रयोग कर विकसित किया था.
जिसे आज दुनिया के कई देशों में उगाया जाता है.
आप कैसे उगा सकते हैं ये पौधे
इसके लिए आपको सबसे पहले इसके बीजों को एकत्र करना होगा.
इसके बाद ग्लास जेम कॉर्न के बीजों को खेत या बगीचे में आपके द्वारा तैयार की गई भूमि में जो भी पक्तियों को 30 इंच की दूरी के साथ बनाएं.
वहीं जब ग्लास जेम कॉर्न कीबीजों को रोपित करने की बात आती है तो आप इन्हें 6-12 इंच की दूरी पर रोपित करें.
अब आप समय-अमे पर खाद और पानी देते रहें. कुछ दिनों में यह परिपक्व होकर कटाई के काबिल हो जाएगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसको पकने में लगभग 120 दिन का समय लगता है.
शरीर के लिए लाभकारी है यह किस्म
यह किस्म देखने में ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी बहुत लाभदायक होती है.
मक्के की इस किस्म में विटामिन A,B और E, मिनरल्स और कैल्शियम बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, इसके साथ ही इसमें मिनरल्स और कैल्सियम की मात्रा भी पर्याप्त होती है.
यही क्कारण है कि यह किस्म शरीर की कई बिमारियों में लाभकारी होती है. आप इस किस्म की मक्का को अपने दैनिक आहार में भी शामिल कर सकते हैं.
भारत में बहुत से किसान इसकी खेती से मोटा मुनाफा उठा रहे हैं.
दरअसल वो इन रंगीन किस्मों को अलग-अलग तरह से प्रयोग में लाते हैं. जिसमें रंगीन मक्के का आटा, पॉपकॉर्न आदि शामिल हैं.