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खाद की महंगाई से किसानों को बचाने की कोशिश तेज

 

इन राज्यों में होगा कच्चे माल का खनन

 

किसानों को राहत देने के लिए राजस्थान, यूपी, आंध्र प्रदेश और गुजरात में रॉक फॉस्फेट का खनन कराएगी सरकार.

डीएपी और एनपीके उर्वरकों के लिए प्रमुख कच्चा माल है रॉक फॉस्फेट. इसका 90 फीसदी होता है आयात.

 

मोदी सरकार ने काम्प्लेक्स उर्वरकों (डीएपी व एनपीके) के प्रमुख कच्चे माल रॉक फॉस्फेट की भारत में खोज और खनन करने की कोशिश शुरू कर दी है.

ताकि इस मामले में हमारी विदेशी निर्भरता कम हो और किसानों को बार-बार डीएपी और एनपीके (DAP-NPK) उर्वरकों की महंगाई से न जूझना पड़े.

अभी तक भारत इसका 90 फीसदी आयात करता है. इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता उर्वरकों की घरेलू कीमतों (Domestic prices) को प्रभावित करती है.

जिससे देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति और विकास में बाधा पहुंचती है.

 

पिछले दिनों डीएपी और एनपीके के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई थी, क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में रॉ मैटेरियल महंगा हो गया था.

किसानों को राहत देने के लिए डीएपी पर प्रति बोरी 1200 रुपये से अधिक की सब्सिडी देनी पड़ी.

ऐसे में अब रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भारत में उपलब्ध रॉक फॉस्फेट भंडार की खोज और खनन में तेजी लाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

 

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इन स्थानों से हो सकता है खनन

  • राजस्थान, प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाग, हीरापुर (मध्य प्रदेश), ललितपुर (उत्तर प्रदेश), मसूरी सिंकलाइन, कडप्पा बेसिन (आंध्र प्रदेश).
  • इन स्थानों पर मौजूदा 30 लाख मीट्रिक टन फॉस्फोराइट का व्यावसायिक रूप से दोहन करने और उत्पादन बढ़ाने का प्लान है.
  • राजस्थान के सतीपुरा, भरूसारी व लखासर और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में संभावित पोटाश अयस्क संसाधनों की खोज में तेजी लाने के लिए खनन विभाग और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ काम चल रहा है.
  • संभावित भंडारों का खनन जल्द से जल्द शुरू करने के लिए सभी विभाग संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं.
  • डाई अमोनियम फास्फेट यानी डीएपी (DAP) और एनपीके (नाइट्रोजन-N, फास्फोरस-P, पोटेशियम-K) फॉस्फेटिक उर्वरकों (Phosphatic Fertilisers) में आते हैं.

 

कार्ययोजना के साथ तैयार हैं अधिकारी

मांडविया ने कहा, “मुझे खुशी है कि उर्वरक विभाग रॉक फॉस्फेट (Rock Phosphate) के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक कार्य योजना के साथ तैयार है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की मुहिम का पालन करके भारत निश्चित रूप से आने वाले समय में उर्वरकों के मामले में आत्मनिर्भर होगा.

 

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