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केंद्रीय कृषि मंत्री ने जारी की फल और सब्जियों की 6 उन्नत विकसित किस्में

 

फल और सब्ज़ियों की 6 विकसित किस्में जारी

 

किसानों की आय बढ़ाने के लिए अलग-अलग फसलों, फल एवं सब्ज़ियों की उन्नत क़िस्में विकसित की जा रही है, जिससे किसान कम क्षेत्र, कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें|

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-आईसीएआर के स्नातकोत्तर विद्यालय के 284 विद्यार्थियों को पुरस्कार और डिग्री प्रदान की।

पुरस्कार और डिग्री प्राप्त करने वाले इन विद्यार्थियों में 8 विदेशी छात्र भी शामिल हैं।

इस अवसर पर श्री तोमर ने फलों और सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित भी किया|

 

फल एवं सब्ज़ियों की इन क़िस्मों को किया गया जारी

केंद्रीय कृषि मंत्री ने फल एवं सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया, जिनमें आम की दो किस्में पूसा लालिमा, पूसा श्रेष्ठ, बैगन की पूसा वैभव किस्म, पालक की पूसा विलायती किस्म, ककड़ी किस्म पूसा गाइनोशियस ककड़ी हाइब्रिड-18 और पूसा गुलाब की अल्पना किस्म शामिल हैं।

सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा विकसित जैव उर्वरक ‘पूसा संपूर्ण’ का भी विमोचन किया गया।

 

कृषि संस्थानों को ड्रोन ख़रीद पर शत प्रतिशत दी जाएगी सब्सिडी

किसानों के लाभ के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग और विभिन्न हितधारकों के लिए रोजगार सृजन पर बोलते हुए, कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि संस्थानों को ड्रोन की खरीद के लिए 100 प्रतिशत अनुदान दे रही है ताकि इस प्रौद्योगिकी को संस्थानों में पढ़ाया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि कृषि स्नातक भी ड्रोन खरीद के लिए अनुदान सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।

कृषि मंत्री ने नए स्नातकों को इसे ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़े अवसर के रूप में देखने की सलाह दी।

 

पूसा द्वारा विकसित क़िस्मों का देश में प्रमुख योगदान

संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।

उन्होंने बताया कि इस संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की किस्में देश के अन्न भंडार में सालाना 80,000 करोड़ रुपए राशि के लगभग 60 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं।

इसी तरह, संस्थान द्वारा विकसित बासमती की किस्में भारत में बासमती की खेती में प्रमुख रूप से योगदान करती हैं, जो बासमती चावल के निर्यात के माध्यम से अर्जित होने वाली कुल विदेशी मुद्रा 32,804 करोड़ रुपए का 90 प्रतिशत (29524 करोड़ रुपये) है।

देश में लगभग 48 प्रतिशत भू-भाग में सरसों की खेती आईएआरआई किस्मों से की जाती है।

पूसा सरसों 25 से उत्पन्न कुल आर्थिक अधिशेष पिछले 9 वर्षों के दौरान 14323 करोड़ रुपये (2018 की कीमतों पर) होने का अनुमान है।

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