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मध्य प्रदेश का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान – फसल सलाह

पिछले दिनों मध्य प्रदेश के पश्चिमी और दक्षिणी पश्चिमी जिलों में रुक-रुक कर हल्की वर्षा देखने को मिली है।

जबकि बाकी हिस्सों में मौसम लगभग शुष्क बना रहा। मॉनसून की वापसी उत्तर भारत से हो गई है लेकिन अभी मध्य प्रदेश से इसकी वापसी में कुछ दिनों का समय लग सकता है, क्योंकि एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर बना है जो मॉनसून की वापसी की राह में बाधा बनेगा।

 

निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तरी बंगाल की खाड़ी पर है। यह निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा जिसके प्रभाव से 5 अक्टूबर से 8 के बीच मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। उस दौरान शहडोल, सिंगरौली, उमरिया, डिंडोरी, अनूपपुर, मांडला, जबलपुर, कटनी, सतना, दमोह, सिवनी तथा सागर आदि जिलों में बारिश हो सकती है।

 

पश्चिमी मध्य प्रदेश के जिलों में अधिकांश समय मौसम लगभग शुष्क रहने की संभावना है। हालांकि 7 या 8 अक्टूबर को पश्चिमी जिलों में भी छिटपुट जगहों पर हल्की वर्षा देखने को मिल सकती है।

 

अगले 2-3 दिनों के दौरान मध्य प्रदेश के पश्चिमी जिलों में उत्तर पश्चिमी दिशा से शुष्क हवाएं चलेंगी जिसके प्रभाव से रात के तापमान में हल्की गिरावट संभव है।

 

इस मौसम का मध्य प्रदेश की फसलों पर असर देखें तो

जिन इलाकों में वर्षा की संभावना है वहाँ कटी हुई फसल को सुरक्षित स्थानों पर रखें। जिन क्षेत्रों में मौसम शुष्क रहने के अनुमान हैं वहाँ पक चुकी फसलों की कटाई कर भली-भांति सुखाकर गहाई करें। काटी जा रही सोयाबीन एवं अन्य फसलों को पक्के फर्श या त्रिपाल पर अच्छी तरह धूप में सूखाकर धीमी गति से थ्रेशर चलाकर सावधानीपूर्वक गहाई करें।

रबी फसलों की बुवाई के लिए खेतों की तैयारी करें।

 

चने की बिजाई 15 अक्तूबर से 15 नवम्बर के दौरान करें। देशी चने की समय पर बोनी हेतु उकठा रोग अवरोधी उपयुक्त किस्में हैं:

पूसा 391, फुले जी-517, पूसा चना 10216, आर.वी.जी-201 और 205 (हरा चना), आर.वी-204 (मशीन द्वारा कटाई हेतु) व जे.जी-6,16 और 12।

 

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देर से बोई जाने वाली उन्नत किस्में:

आर.वी.जी-202 व 203, जे.जी-14 तथा काबुली चने की शुभ्रा, आर.वी.के.जी-111, जे.जी.के-5, 3 व 2, पी.के-4, बी.जी-1053 आदि।

सरसों के बीज को बिजाई से पूर्व 2 ग्राम थाइरम + 1 ग्राम कार्बनड़ाजिम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। उपचारित करने के पश्चात बीजों को छाया में सुखाकर, प्रति हेक्टर 4-5 कि.ग्रा. बीज की दर से, कतारों के बीच 30-45 से.मी. दूरी रखते हुए, सीड ड्रिल से 2.5-3.0 से.मी. गहरी बिजाई करें।

 

आलू की शीघ्र अवधि वाली किस्में:

कुफ़री लोकर, कुफ़री पुखराज, कुफ़री चंद्रमुखी, कुफ़री सूर्या, कुफ़री अशोका व कुफ़री ख्याती हैं।

 

मध्यम अवधि वाली किस्में हैं:

कुफ़री बहार, कुफ़री ज्योति, कुफ़री बादशाह, कुफ़री जवाहर, कुफ़री चिपसोना-1 व कुफ़री चिपसोना-4; देर अवधि वाली किस्में कुफ़री सिंदूरी, कुफ़री हिमसोना में से अपनी आवश्यकता व उपलब्धता के अनुसार कर सकते हैं। 

 

किसान क्या करे क्या ना करे देखे विडियो……..?

 

video source : skymet weather

 

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