जैविक खेती फसल उत्पादन की वह पद्धति है जिसमें हम रासायनिक खाद, रासायनिक दवाओं का उपयोग नहीं करते हैं।
जैविक खेती के लिए जैविक कार्बनिक खाद, जैव उर्वरक, जैव कीटनाशी, जैव रोगनाशी आदि जैविक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
आज के समय में सरकार द्वारा जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ऐसे में किसानों को यह जानना जरूरी है कि जैविक खेती क्या होती है और इसके लाभ क्या-क्या हैं ताकि किसान अधिक से अधिक जैविक खेती करने के लिए प्रेरित हो सके।
भारत के लिए जैविक खेती कोई नई तकनीक नहीं है देश के किसान सदियों से जैविक तरीके से खेती करके विभिन्न फसलों का उत्पादन करते आए हैं।
जैविक खेती
लेकिन स्वतंत्रता के समय खाने के अनाज विदेशों से आयात किए जाते थे, खेती से जो उत्पादन होता था वह देश की जनसंख्या के लिए काफी नहीं था।
जिसकी पूर्ति के लिए हरित क्रांति के तहत रासायनिक खेती का चलन बढ़ा जिसमें किसान रासायनिक उर्वरकों और रसायनों का प्रयोग करने लगें, जिसके कारण भूमि की विषाक्तता बढ़ गई।
रासायनिक खेती से ना केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है बल्कि इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जंतु और मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगा है।
आज के समय में लोग विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित हो गए हैं और रोटियों से ज़्यादा दवाओं की ज़रूरत पड़ने लगी है।
जैविक खेती किसे कहते हैं?
जैविक खेती फसल उत्पादन की वह पद्धति है जिसमें हम रासायनिक खाद, रासायनिक दवाओं का उपयोग नहीं करते हैं।
जैविक खेती के लिए जैविक कार्बनिक खाद, जैव उर्वरक, जैव कीटनाशी, जैव रोगनाशी आदि जैविक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के साथ-साथ-फसलों का उत्पादन बढ़ाना है साथ ही जैविक खेती से फसल उत्पादन की लागत कम होती है।
आज की परिभाषा के अनुसार देखें तो जैविक खेती कृषि की वह विद्या है जिसमें मृदा को स्वस्थ व जीवंत रखते हुए केवल जैव अपशिष्ट, जैविक तथा जीवाणु खाद के प्रयोग से प्रकृति के साथ समन्वय रख कर टिकाऊ फसल उत्पादन किया जाता है।
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सन 1972 में स्थापित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ आर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट नाम की अंतर्राष्ट्रीय संस्था बनाई गई है।
जैविक खेती की अन्य परिभाषाएं
संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग की परिभाषा के अनुसार जैविक खेती एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें सभी संश्लेषित आदानों जैसे रासायनिक खाद, कीटनाशी, हार्मोन्स आदि के प्रयोग को नकारते हुए केवल फ़सल चक्र, फसल अवशिष्ट, अन्य जैविक आदान, खनिज आदान तथा जीवाणु खादों के प्रयोग से फसल उत्पादन किया जाता है।
विश्व खाद्य संगठन (WHO) की एक अन्य परिभाषा के अनुसार जैविक खेती एक ऐसी अनूठी कृषि प्रबंधन प्रक्रिया है जो कृषि वातावरण का स्वास्थ्य, जैव विविधता, जैविक चक्र तथा मिट्टी की जैविक प्रणालियों का संरक्षण व पोषण करते हुए उत्पादन सुनिश्चित करती है।
इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के संश्लेषित तथा रासायनिक आदानों के उपयोग के लिए कोई स्थान नहीं हैं।
दार्शनिक परिभाषा के अनुसार जैविक खेती का अर्थ प्रकृति के साथ जुड़कर खेती करना है। इस प्रक्रिया में सभी अवयव व प्रणालियां एक दूसरे से जुड़ी हैं।
चूँकि जैविक खेती का अर्थ है सभी अंगों के बीच आदर्श, समन्वित संबंध, अतः हमें मिट्टी जल, जीव, पौधे, जैविक चक्र, पशु व मानव तथा उनके आपसी संबंधों की गहन जानकारी होनी चाहिए। इस समस्त संबंधों तथा सबका सम्मिलित सहयोग जैविक खेती के मूल आधार है।
जैविक खेती के कुछ अन्य प्रचलित एवं नए जैविक आदान
प्राचीन काल से ही भारत में जैविक खेती की जा रही है। इसमें जैविक खेती करने के कई पद्धतियाँ विकसित की गई हैं।
इसमें कुछ जैविक खेती के तरीके निम्न हैं:-
- बायोडाइनेमिक जैविक कृषि
- ऋषि कृषि
- पंचगव्य कृषि
- प्राकृतिक खेती
- नैटुको खेती
- होमा खेती,
- जैविक खेती में ई.एम
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