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फसल विविधीकरण से खेती में क्या है लाभ

फसल विविधिकरण के माध्यम से खेती में एक ही समय में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन जैव विविधता को बनाये रखते हुए किया जाता है.

इस विधि से खेती कर किसान एक ही समय में अधिक फसलों को उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

 

फसल विविधिकरण

फसल विविधिकरण खेती की एक ऐसी प्रक्रिया है,जिसमें फसलों की खेती में पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नए वैज्ञानिक तरीकों का भी इस्तेमाल किया जाता है.

फसलों की खेती में अन्य फसल प्रणालियों को भी बेहतर उत्पादन के लिए जोड़ा जाता है.

इस प्रकार की खेती में विभिन्न तरीकों से फसलों का उत्पादन बाजार की मांग के अनुसार किया जाता है.

इस फसल विविधिकरण के माध्यम से कृषि क्षेत्र में एक ही समय में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन जैव विविधता को बनाये रखते हुए किया जाता है, जिससे किसान एक ही खेत विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन कर सकता है.

देश के कई राज्यों में पानी, श्रम और मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर किसान एक ही खेत में अलग-अलग फसलों की खेती कर फसलों का उत्पादन कर रहे है.

आज हम इसके विभिन्न माध्यमों से खेती करने के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं.

 

फसल विविधिकरण विधि के प्रकार

एकल फसली व्यवस्था

इस प्रक्रिया में खेतों में मिट्टी और जलवायु के आधार पर खेतों से बार-बार एक ही फसल उगाई जाती है.

इस तरीके का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में होता है जहां वर्षा व सिंचाई के जल का काफी ज्यादा अभाव होता है.

ऐसी फसल विविधिकरण का इस्तेमाल ज्यादातर खरीफ के मौसम में किया जाता है.

 

अंतर फसली

इसमें खेतों में एक साथ एक से ज्यादा फसलें अलग-अलग कतार में उगाई जाती हैं. इसे अंतरवर्ती खेती के नाम से भी जाना जाता है.

उदाहरण के तौर पर टमाटर की फसल के तीन कतार के बीच सरसों, आलू, मसूर और मटर की खेती की जा सकती है.

 

रिले क्रॉपिंग

रिले क्रॉपिंग के तहत खेती करने के लिए भूमि को कई हिस्सों में बाट दिया जाता हैं.

इसके अंतर्गत भूमि के एक हिस्से में दो, तीन प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं.

इस खेती की पद्यति में खेत में पहली बोई गई फसल की कटाई करने के बाद ही दूसरी फसल की बुवाई की जा सकती है.

 

मिश्रित अंतर फसली

मिश्रित कृषि में एक खेत में एक समय में दो से तीन फसलों को अलग-अलग साथ में उगाया जाता है.

इससे खेत की उत्पादन क्षमता बढ़ती है. इस प्रकार की खेती में फसलों को परागण काफी अच्छी तरह हो पाता है.

 

अवनालिका फसल प्रणाली

एली क्रॉपिंग की खेती में बड़े पेड़ों की पंक्तियों के बीच सब्जियां और चारे वाली फसलों को उगाया जाता है.

इस प्रणाली के तहत लंबे समय तक फसलों का उत्पादन किया जा सकता है.

इस फसल पंक्ति में लकड़ी के उत्पादन वाले पेड़ों के साथ अखरोट और क्रिसमस जैसे पेड़ों के साथ सब्जियों का भी उत्पादन किसानों की आय बढ़ाने हेतू इस विधि को सबसे बेहतर माना जाता है.

इस बदलते वैज्ञानिक युग में फसल विविधिकरण से खेती के क्षेत्र में कीड़े, बीमारियां, खरपतवार और मौसम संबंधी समस्याओं की कमी आती है और साथ ही किसानों को खरपतवार व कीटनाशी जैसे उर्वरकों की उपयोगता में कमी आती है.

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