गेहूं अनुसंधान संस्थान ने गेहूं किसानों के लिए जारी की विशेष सलाह

किसान कम से कम लागत में गेहूं की फसल से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा किसानों को समय-समय पर सलाह जारी की जाती है।

जिनका पालन कर किसान फसलों को कीट एवं रोगों से बचाकर खेती की लागत को कम करने के साथ ही उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

इस क्रम में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा किसानों को 15 फरवरी तक के लिए विशेष सलाह जारी की गई है।

संस्थान द्वारा जारी की गई सलाह में किसानों को गेहूं की खेती के लिए सामान्य सुझाव, सिंचाई प्रबंधन, खाद एवं उर्वरक के उपयोग, पीले और भूरे रतुआ रोग का नियंत्रण एवं गेहूं की फसल में लगने वाले गुलाबी छेदक कीट के नियंत्रण के बारे में जानकारी दी गई है।

 

सामान्य सुझाव

  • संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि फसलों को पाले से बचाने के लिए यदि मिट्टी में पर्याप्त नमी ना हो तो हल्की सिंचाई की जा सकती है।
  • पानी बचाने और लागत कम करने के लिए समय पर और विवेकपूर्ण तरीके से खेतों की सिंचाई करें और उचित खरपतवार प्रबंधन का पालन करें। सिंचाई से पहले मौसम पर नजर रखें यदि बारिश का पूर्वानुमान हो तो सिंचाई ना करें ताकि अधिक पानी की स्थिति से बचा जा सके।
  • यदि फसल में पीलापन हो तो अत्यधिक नाइट्रोजन (यूरिया) का उपयोग ना करें। इसके अलावा, कोहरे या बादल वाली स्थिति में नाइट्रोजन के उपयोग से बचें।
  • पीला रतुआ और भुरा रतुआ संक्रमण के लिए फसल की नियमित निगरानी करें और नजदीकी संस्थान या कृषि विज्ञान केंद्र से परामर्श करें।
  • संरक्षण कृषि में सिंचाई से ठीक पहले यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करनी चाहिए।
  • देर से बुआई की स्थिति में नाइट्रोजन का प्रयोग बुआई के 40-45 दिन बाद पूरा कर लेना चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए सिंचाई से ठीक पहले यूरिया का प्रयोग करें।

 

गेहूं में सिंचाई प्रबंधन

संस्थान द्वारा किसानों को सलाह दी गई है की गेहूं की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

तेज हवा वाले मौसम की स्थिति में, लेजिंग से बचने के लिए सिंचाई न करें, ताकि उपज के नुकसान से बचा जा सके।

तापमान बढ़ने की स्थिति में किसान फसल को सूखे से बचाने और तनाव कम करने के लिए 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम MOP घोलें)।

या फिर 2 प्रतिशत KNO3 (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4.0 किलोग्राम) दो बार बूट लीफ पर और एंथेसिस चरण के बाद स्प्रे कर सकते हैं।

 

पीले और भूरे रतुआ के लिए क्या करें?

अनुसंधान संस्थान द्वारा किसान भाइयों से अनुरोध किया गया है की यदि धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) या भूरा रतुआ की कोई घटना हो तो वे नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें।

यदि किसान अपने गेहूँ के खेतों में रतुआ का प्रकोप देखते हैं, और पुष्टि करते हैं तो प्रोपीकोनाजोल 25 EC के एक स्प्रे का छिड़काव करें।

एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर रसायन मिलाना चाहिए। एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

 

गेहूं में गुलाबी छेदक के लिए सलाह

जहां मक्का, कपास और गन्ना की खेती होती है वहाँ पर गुलाबी छेदक कीट का हमला होता है। प्रभावित पौधे पीले पड़ जाते हैं और उन्हें आसानी से उखाड़ा जा सकता है।

जब पौधों को उखाड़ा जाता है, तो उनकी निचली नसों पर गुलाबी रंग के कैटरपिलर देखें जा सकते हैं।

इसके नियंत्रण के लिए किसान संक्रमित टिलर को हाथ से उखाड़ने और उन्हें नष्ट कर सकते हैं जिससे गुलाबी छेदक के प्रकोप में कमी आती है।

यदि संक्रमण अधिक है, तो किसान 1000 मिली क्विनलफ़ॉस 25 प्रतिशत EC को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

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