डेयरी बिजनेस के लिए मुर्रा भैंस क्यों है बेस्ट? जानें पहचान

खूबियां और कीमत

यदि आप डेयरी व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो मुर्रा भैंस निश्चित रूप से एक लाभदायक निवेश साबित हो सकती है. यह अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता, पोषण युक्त दूध और मजबूत स्वास्थ्य के कारण डेयरी किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है.

मुर्रा भैंस भारत की सबसे प्रसिद्ध और उच्च दुग्ध उत्पादन करने वाली नस्लों में से एक है. लोकल बाजार से लेकर डेयरी उद्योग तक, इसकी क़ीमत और मांग लगातार बढ़ रही है.

सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी मुर्रा भैंस के दूध की मांग बढ़ी है, खासतौर पर औषधीय उपयोग के लिए.

मुख्य रूप से हरियाणा की मूल नस्ल मानी जाने वाली यह भैंस अब उत्तर प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु समेत पूरे देश में पाली जा रही है. डेयरी विशेषज्ञों का कहना है कि मुर्रा भैंस का दूध बाज़ार में सबसे महंगा बिकने वाला दूध बन चुका है.

 

मुर्रा भैंस की पहचान

मुर्रा भैंस को अन्य नस्लों से अलग पहचानने के लिए कुछ खास लक्षण होते हैं:

  • रंग: इसका रंग गहरा काला होता है, चेहरे और पैरों पर सफेद निशान कभी-कभी पाए जाते हैं.
  • सींग: छोटे, कड़े, पीछे और ऊपर की ओर मुड़े हुए होते हैं, जो उम्र के साथ थोड़े ढीले हो जाते हैं.
  • आंखें: बड़ी, काली और चमकदार होती हैं, जबकि नर भैंसे की आँखें थोड़ी सिकुड़ी होती हैं.
  • पूंछ: काली या सफेद रंग की, लंबी और फेटलॉक जोड़ तक पहुँचने वाली होती है.
  • गर्दन: मादा भैंस की गर्दन लंबी और पतली होती है, जबकि नर भैंसे की गर्दन भारी और मोटी होती है.
  • कान: छोटे, पतले और सतर्क रहते हैं.

शारीरिक माप (सेमी में) 

  • मादा भैंस की लंबाई – 148 सेमी
  • नर भैंसे की लंबाई – 150 सेमी

वजन (किलो में) 

  • जन्म के समय – मादा: 30 किलो, नर: 31.7 किलो
  • वयस्क वजन – मादा: 350-700 किलो, नर: 400-800 किलो

 

मुर्रा भैंस की खासियत 

  1. उच्च दूध उत्पादन: मुर्रा भैंस औसतन 12 से 16 लीटर दूध प्रतिदिन देती है, जबकि कुछ भैंसें 20 लीटर तक भी दूध दे सकती हैं.
  2. उच्च फैट प्रतिशत: इसके दूध में 7 से 8% फैट होता है, जिससे यह अधिक पौष्टिक और गाढ़ा बनता है.
  3. बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह सामान्य बीमारियों से बची रहती है, जिससे किसानों का खर्च कम होता है.
  4. जलवायु अनुकूलता: यह गर्मी और ठंड दोनों को सहन करने में सक्षम होती है, इसलिए इसे पूरे भारत में आसानी से पाला जा सकता है.
  5. स्थानीय नस्लों के सुधार में सहायक: मुर्रा भैंस के ब्रीडर से अन्य नस्लों की भैंसों का सुधार भी किया जा रहा है.
  6. दीर्घकालिक उत्पादकता: यह नस्ल 12 से 15 साल तक दूध देती है, जिससे किसानों के लिए यह एक लाभदायक निवेश साबित होती है.

 

मुर्रा भैंस का खानपान

विशेषज्ञों के अनुसार, मुर्रा भैंस को संतुलित आहार देने से इसका दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. 

  • रबी सीजन: बरसीम, जई और सरसों का हरा चारा
  • खरीफ सीजन: बाजरा, ज्वार और क्लस्टर बीन
  • अन्य आहार: गेहूं और दाल का भूसा, खली और अन्य पोषणयुक्त मिश्रण

 

मुर्रा भैंस की कीमत

मुर्रा भैंस की कीमत उसकी उम्र, दूध उत्पादन क्षमता और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है.

आमतौर पर, इसकी कीमत 80,000 से 3,00,000 रुपए तक हो सकती है. उच्च दूध उत्पादन करने वाली भैंसों की कीमत इससे भी अधिक हो सकती है.

 

बढ़ती मांग और डेयरी उद्योग में मुर्रा भैंस का महत्व

आज भारत में डेयरी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, और इसी के साथ मुर्रा भैंस की मांग भी बढ़ी है. देशभर में इसकी लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही, यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रही है.

कई अन्य देशों में भी मुर्रा भैंस को पाला जा रहा है, जिससे इसके महत्व में और वृद्धि हो रही है.

इस बार प्रदेश में तय समय से पहले हो सकती है मानसून की एंट्री