कृषि विभाग के मुताबिक किसान फसल अवशेषों को जलाए बिना मूंग एवं उड़द की बुआई हैप्पी सीडर या सुपर सीडर कृषि यंत्र से करें।
जिससे मिट्टी और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके। इसके फसल अवशेष जलाए बिना बुआई करने से फसल जल्दी तैयार हो जाती है।
गेहूं फसल की कटाई के बाद जायद सीजन में मूंग और उड़द की बुआई का काम तेजी से चल रहा है।
किसान हार्वेस्टर से गेहूं फसल की कटाई उपरांत जो फसल अवशेष बचता है, उसको आग लगाकर नष्ट कर देते हैं जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में कमी, वायु प्रदूषण के साथ ही कई नुकसान होते हैं।
जिसको देखते हुए कृषि विभाग, जबलपुर द्वारा नरवाई यानी की फसल अवशेषों के प्रबंधन और मूंग एवं उड़द की बुआई को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
कृषि विभाग के मुताबिक खेतों में फसल अवशेष जलाने से न केवल मृदा की गुणवत्ता का हास होता है बल्कि इससे भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त होती है, उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं।
सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण रूक जाता है। लगातार नरवाई जलाने से मिट्टी की ऊपरी सतह जलकर कठोर हो जाती है, खेत की जल धारण क्षमता कम होने लगती है एवं फसलें जल्दी सूखती हैं।
नरवाई जलाने से मेढ़ों पर लगे पेड-पौधे नष्ट होने से उन पर पल रहे मित्र कीटों को भी नुकसान होता है।
किसान इस तरह कर सकते हैं फसल अवशेषों का प्रबंधन
कृषि विभाग के मुताबिक गेहूं की फसल की कटाई के तुरंत बाद फसल अवशेष को जलाए बिना हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं स्मार्ट सीडर के माध्यम से उड़द एवं मूंग की बोनी की जा सकती है।
यदि किसान फसल अवशेष जलाने के बजाए उसका उचित प्रबंधन करे तो पर्यावरण सुरक्षित रहेगा।
हार्वेस्टर से कटाई उपरांत खेत में 8-12 इंच के डंठल शेष रहते हैं, उन्हें स्ट्रा रीपर का उपयोग कर भूसा बनाया जा सकता है।
जिसका उपयोग पशुओं को चारे तथा अतिरिक्त आय के साधन के रूप में किया जा सकता है।
फसल अवशेष (नरवाई) को नष्ट करने के लिए रोटावेटर का उपयोग किया जा जाए, जो नरवाई को बारीक कर मिट्टी में मिला देता है।
इससे जैविक खाद तैयार होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है तथा उपज में वृद्धि होती है।
किसान हैप्पी सीडर से करें मूंग, उड़द की बुआई
कृषि विभाग के द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक किसान भाई हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं स्मार्ट सीडर की सहायता से खेत तैयार किये बिना सीधे बोनी कर सकते हैं।
इससे फसल अवशेष खेत में मल्य का कार्य करती है एवं वर्तमान फसल की सिंचाई के पानी से धीरे-धीरे सड़कर खाद में परिवर्तित हो जाती है।
इससे खेत तैयार करने में लगने वाली लागत एवं एक सिंचाई के साथ-साथ समय की भी बचत होती है।
साथ ही फसल 08-10 दिन पूर्व पक कर तैयार हो जाती है, जिससे फसल पकने की अवस्था में वर्षा आने पर खरपतवारनाशक दवा का उपयोग कर फसल सुखाने की आवश्यकता नहीं होती।
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