किसान फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए अभी जरुर करायें मिट्टी की जाँच

मिट्टी की जाँच या मृदा परीक्षण कराकर किसान मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा, पीएच मान और मृदा में उपलब्ध सूक्ष्म जीवों की संख्या के बारे में जान सकते हैं। जिसमें की गई सिफारिशों के अनुसार किसान अगली फसलों में खाद उर्वरक का प्रयोग कर फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

 

मिट्टी की जाँच

रबी फसलों की कटाई के बाद अभी खेत ख़ाली पड़े हैं, ऐसे में मृदा परीक्षण करवाने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त है।

मिट्टी की जाँच या मृदा परीक्षण कराकर किसान मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा, पीएच मान और मृदा में उपलब्ध सूक्ष्म जीवों की संख्या के बारे में जान सकते हैं।

जिससे किसान मिट्टी की वर्तमान सेहत के बारे में पता करके उसमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं और सही अनुपात में पोषक तत्वों (खाद-उर्वरक) का चयन कर सकते हैं।

इसके अलावा किसान खेत की मिट्टी के अनुसार फसल चक्र अपना सकते हैं।

 

मृदा परीक्षण की विधि

मिट्टी की जाँच के लिए किसान को अपने खेत से लगभग 15 स्थानों से 15 से 20 सेंटीमीटर की गहराई तक खुदाई करके खुरपी की सहायता से मिट्टी के नमूने लेने चाहिए।

मृदा का नमूना या सैंपल खेत के किनारे किसी खाद वाले स्थान, छायादार स्थान व सिंचाई की नाली के पास से नहीं लेना चाहिए।

एक खेत में इकट्ठे किए गए नमूनों को मिट्टी को आपस में अच्छी तरह से मिलाकर अंत में 500 ग्राम मृदा को एक कपड़े की थैली में भरकर पूरे विवरण के साथ मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।

प्रयोगशाला में भेजने के बाद मिट्टी की नमूनों की जाँच कम्प्लीट होने पर किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड जरुर प्राप्त करें ताकि अगली फसल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही अनुशंसित खाद एवं उर्वरक का प्रयोग किया जा सके।

मिट्टी की जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में फसल विशेष के उत्पादन के लिए भी खाद एवं उर्वरकों की सिफारिश मात्रा की अनुशंसा की जाती है।

 

मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या होता है?

खेत की मिट्टी के नमूनों या सैंपल की जाँच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) दिया जाता है, यह एक प्रिंटेड कार्ड होता है जिसे किसान को उसके प्रत्येक जोत के लिए दिया जाता है।

इसमें 12 पैरामीटरों जैसे एनपीके (मुख्य पोषक तत्व), सल्फर (गौण पोषक तत्व), जिंक, फेरस, कॉपर, मैग्निशियम, बोरान (सूक्ष्म पोषक तत्व) और पीएच, इसी, ओसी (भौतिक पैरामीटर) के संबंध में जानकारी दी जाती है।

इसके आधार पर ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड में किसानों को खेती के लिए मिट्टी सुधार के लिए उर्वरकों की सिफारिशें की जाती है।

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