धान की नर्सरी डालने का समय नजदीक आता जा रहा है, ऐसे में जहां किसान धान की उन्नत किस्मों की जानकारी हासिल करने में लगे हैं तो वहीं कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा भी किसानों को धान की नई उन्नत किस्म लगाने की सलाह दी जा रही है।
ऐसे में इस साल किसान अधिक पैदावार के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नई उन्नत किस्म सबौर मंसूरी की खेती कर सकते हैं।
कम खर्च में मिलेगा डेढ़ गुना से ज्यादा उत्पादन
कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में धान की नई वेराइटी सबौर मंसूरी से किसानों को लगभग डेढ़ गुना ज्यादा उत्पादन मिलेगा।
केंद्र से इस वेराइटी की अधिसूचना एक महीने में जारी हो जाएगी, जिससे किसान इस खरीफ सीजन में इस किस्म की खेती कर सकेंगे।
कई वर्षों के परीक्षण के बाद किसानों के लिए जारी होगी किस्म
पिछले 4 वर्षों तक बिहार सहित देश के 19 राज्यों में अखिल भारतीय समन्वित धान सुधार परियोजना के तहत 125 केंद्रों पर परीक्षण किया गया है।
बिहार में इसका परीक्षण किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, भागलपुर, लख़ीसराय, बेगूसराय, बक्सर, औरंगाबाद, गया, रोहतास और पटना में किया गया। जाँच में वैज्ञानिकों ने बेहतर परिणाम सामने आने के बाद ही केंद्रीय प्रभेद चयन समिति द्वारा इसकी अनुशंसा की गई है।
धान के नये प्रभेद की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की है।
वनस्पति अनुसंधान इकाई विक्रमगंज के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश सिंह और डॉ. कमलेश कुमार सहित वैज्ञानिकों की टीम ने धान की इस नई प्रजाति की खोज की है।
सबौर मंसूरी धान की उत्पादन क्षमता
देश के 9 राज्य सबौर मंसूरी धान की खेती के लिए अनुकूल हैं, इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पांडिचेरी राज्य शामिल हैं।
किसान इस धान के बीज को बिना रोपनी के सीधे भी लगा सकते हैं। धान की इस किस्म की औसत उपज क्षमता 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
वहीं धान की इस किस्म से अधिकतम 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
वहीं बिहार में किसानों के खेतों में किए गए प्रयोग में इस किस्म से औसतन 107 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त हुई है।
सबौर मंसूरी धान मौसम के अनुकूल वेरायटी है। सीधी बुआई और कठिन परिस्थिति में भी 135-140 दिनों में यह किस्म 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा का उत्पादन देती है।
इस वेराइटी के पौधे में औसतन 18 से 20 कल्ले होते हैं। इसमें 29 सेंटीमीटर की बालियाँ होती हैं।
इसमें 300 से अधिक दाने पाये गये हैं। दाने का रंग सुनहरा होता है। यह नाटी मंसूरी के दाने जैसा होता है।
सबौर मंसूरी किस्म की खासियत क्या है?
धान की सबौर मंसूरी किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता सबसे अधिक है जिससे इस किस्म में कीट और रोग दोनों ही कम लगते हैं।
जीवाणु झुलसा, झोंका रोग के प्रति यह क़िस्म मध्यम प्रतिरोधी है। तना छेदक एवं भूरा पत्ती लपेटक कीट के प्रति सहनशील है।
साथ ही इसका तना भी बहुत मजबूत है, जिससे ये बदलते जलवायु में बार-बार आने वाले आँधी तूफान में नहीं गिरेगी।
कीट एवं रोग कम लगने एवं सीधी बुआई आदि गुणों के कारण किसान इस किस्म से कम पानी, कम खर्च और कम खाद-उर्वरक में भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।