देश में किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को लगातार सलाह दी जाती है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के जिला गन्ना अधिकारी खुशीराम भार्गव ने किसानों को गन्ने (पेड़ी गन्ना की फसल) की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए कुछ टिप्स दिये हैं। जिन्हें अपनाकर किसान न केवल गन्ना उत्पादन की लागत को कम कर सकते हैं बल्कि अधिक पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं।
पेड़ी गन्ने से अधिक पैदावार
कृषि अधिकारी ने बताया कि किसानों को गन्ने की पेड़ी प्रबंधन पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अधिकांश किसान भाई पौधा गन्ना में तो अधिक मेहनत और देखभाल करते हैं लेकिन पेड़ी फसल की उचित देखभाल नहीं करते हैं जिसके कारण पेड़ी गन्ना में प्रति हेक्टेयर कम पैदावार मिलती है।
मिलती है अधिक पैदावार
गन्ना अधिकारी ने कहा कि किसानों के बीच आमतौर पर यह धारणा है कि पेड़ी की फसल बिना लागत की फसल है।
पेड़ी का रकबा लगभग 50 प्रतिशत होता है परंतु ठीक से देखभाल न करने के कारण इसकी पैदावार भी कम होती है।
यदि देखा जाये तो पेड़ी की फसल में ज्यादा पैदावार एवं चीनी परता पाया जाता है।
पेड़ी गन्ना का उचित प्रबंधन पौधा गन्ना की कटाई के तुरंत बाद आवश्यक है।
यदि समुचित प्रबंधन ना किया जाए तो उपज में 25 से 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। पेड़ी गन्ना की अच्छी पैदावार लेने के लिए गन्ने की कटाई बिलकुल खेत की मिट्टी की सतह से मिलाकर करना चाहिए।
ऐसा करने से कल्ले अधिक निकलते हैं। जिस खेत में लाल सड़न, उकठा, या कंडुवा बीमारी लगी हो उस खेत से पेड़ी की फसल किसानों को नहीं लेनी चाहिए।
इसके लिए पौधे गन्ने के ठूठ की छटाई आवश्यक है, इस कार्य हेतु गन्ना समितियों में आर.एम.डी. यंत्र उपलब्ध है जो ट्रैक्टर चालित है।
किसान फावड़े से भी ठूठ की छटाई कर सकते हैं।
किसान पेड़ी गन्ने में करें इन दवाओं का स्प्रे
पेड़ी प्रबंधन के रखरखाव के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की इथोफोन दवा की 50 मिली. मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर ठूंठ पर छिड़काव से फुटाव अच्छा होता है, जिससे पौधे में वृद्धि शीघ्र हो जाती है।
यदि खेत में पौधे गन्ने की सूखी पत्तियों के अवशेष हों तो इसके दोनों पंक्तियों के बीच बिछाने के बाद सिंचाई कर देते हैं जिससे मृदा में नमी बनी रहती है।
कीटनाशक रसायन यूजो (क्लोरोपैरिफॉस 50 प्रतिशत प्लस 5 प्रतिशत साईपर) की 400 मिली. मात्रा को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से काला चिटका, दीमक सैनिक कीट एवं मिलीबग जैसे कीटों से पेड़ी फसल की रक्षा की जा सकती है।
पेड़ी गन्ने के लिए 20 से 25 प्रतिशत तक उर्वरक की आवश्यकता होती है।
इसके लिए 220 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फ़ॉस्फ़ोरस और 80 किलोग्राम पोटाश की ज़रूरत होती है।
जिसे हम गोबर की सड़ी खाद, जैव उर्वरक एवं रासायनिक उर्वरकों से पूरी कर सकते हैं।
10 किलोग्राम एजोबेक्टर तथा 10 किलग्राम पी.एस.बी. को 5 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद के साथ मिलाकर दोनों लाइनों के बीच डालकर गुड़ाई कर देनी चाहिए।
गन्ना की फसल को रोगों से कैसे बचाएं
- फफूँदजनित रोगों से पौधों की सुरक्षा के लिए ट्राइकोडर्मा 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का प्रयोग गोबर की खाद में तैयार कर अवश्य करना चाहिए।
- पेड़ी गन्ने में कहीं-कहीं गैप अधिक हो जाता है, जिसे अवश्य भरना चाहिए।
- इसके लिए महिला समूहों द्वारा सीडलिंग उपलब्ध है, जिसे किसान भाई अपने गन्ना प्रयवेक्षक के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
- जिन किसानों के पास संसाधन की कमी है, वे पेड़ी गन्ने में जब 4 से 5 पत्तियाँ आ जायें तो एन.पी.के. 19:19:19 जल विलेय उर्वरक का क्लोरोपैरिफ़ॉस 20 ई.सी. के 2 प्रतिशत घोल के साथ पत्रप छिड़काव अवश्य करें, इससे कीटों से पौधों को सुरक्षा भी मिलेगी और बढ़वार भी होगी।
- समय-समय पर निराई-गुड़ाई एवं अनुकूलतम सिंचाई कर पेड़ी गन्ने का प्रबंधन किया जा सकता है।