गोबर के बने दीये सुंदरता के साथ-साथ किसानों को जैविक कृषि के लिए भी जागरूक कर रहे हैं.
गाय के गोबर से बने यह दीये ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से भारतीय बाजार में बेचे जा रहे हैं, लेकिन खास बात यह है कि इस बार 10 लाख दीयों का ऑर्डर अकेले अमेरिका से भी मिला है.
भारतीय दीये की खूब डिमांड!
जयपुर के पिंजरापोल गौशाला में गाय के गोबर से दीपक तैयार किया जा रहे हैं.
यहां महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से ग्रामीण अंचल की महिलाएं देसी गाय के गोबर से रंग-बिरंगे दीये बनाने में जुटी हैं.
आपको बता दें कि ये दीये सिर्फ जयपुर ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों के बाजारों में भी काफी पसंद किया जा रहे हैं. साथ ही अब विदेश से भी जमकर ऑर्डर आ रहे हैं.
अमेरिका हो या फिर मॉरीशस, कई देशों में लाखों दीये भेजे जा चुके हैं, जहां भारतीय मूल के लोग वैदिकता के साथ गाय के गोबर से विदेश में भी दिवाली रोशन करेंगे.
ऐसे तैयार किए जा रहे दीये
इस गौशाला में करीब 10 महिलाएं एक दिन में करीब 8 हजार दीये तैयार कर रही हैं.
इन्हें बनाने के लिए गाय के गोबर के अलावा जन्मांगम, जटामास, मिट्टी और तेल का उपयोग किया जाता है, जो बनावट के साथ-साथ रेड और गोल्डन कलर्स में भी सुंदर लगे.
क्योंकि सनातन धर्म में लाल रंग को शुभ माना गया है. वहीं, इन दीयों की कीमत भी चाइनीज लाइट्स के मुकाबले बेहद कम रहती है.
किसान हो रहे है जागरूक
गोबर के बने दीये सुंदरता के साथ-साथ किसानों को जैविक कृषि के लिए भी जागरूक कर रहे हैं.
गाय के गोबर से बने यह दीये ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से भारतीय बाजार में बेचे जा रहे हैं, लेकिन खास बात यह है कि इस बार 10 लाख दीयों का ऑर्डर अकेले अमेरिका से भी मिला है.
महिलाओं को मिल रहा रोजगार
कोऑर्डिनेटर दिव्यांशी और अंकित आचार्य का मानना है कि इस बार की दीवाली आर्टिफिशियल चाइनीज दीये को छोड़ वैदिकता के साथ मनानी चाहिए.
क्योंकि वेद पुराणों में गाय के गोबर में लक्ष्मी का निवास बताया गया है, ऐसे में पिंजरापोल गौशाला में तकरीबन 5 हजार गायें हैं और इन्हीं गायों के गोबर से अखिल भारतीय गौशाला परिषद दीपक बना स्थानीय महिलाओं को रोजगार देकर सशक्त बना रहा है, साथ ही गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करवाने की मांग भी कर रहा है.
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