जड़ गलन, सूखा जड़ गलन एवं उकठा रोग
रबी सीजन के दौरान चने की फसल में लगने वाले जड़ गलन, सूखा जड़ गलन एवं उकठा रोग के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को कुछ उपाय बताए गए हैं।
रबी के मौसम में दलहन फसलों में चने की खेती किसानों के द्वारा प्रमुखता से की जाती है।
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो किसी फसल का क्षेत्र विशेष में एक ही पैटर्न होने से उसमें लगने वाले कीट और रोगों के प्रकोप की संभावना भी अधिक रहती है, जिसको देखते हुए कृषि विभाग के अजमेर केंद्र द्वारा किसानों को चने की फसल में होने वाले विभिन्न रोगों से बचाव के लिए उपाय बताए गए हैं।
केंद्र के कृषि अधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि मौसम तथा अन्य अनुकूलता बढ़ने से अन्य कीट व्याधियों के साथ-साथ चने की फसल में मृदा तथा बीज जनित रोग जैसे की जड़ गलन, सुखा जड़ गलन एवं उकठा रोग हानिकारक फफूंद (फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम) द्वारा फैलते है।
इनका समय रहते उपचार करने की आवश्यकता है। इस रोग का प्रभाव खेत में छोटे-छोटे टुकड़ों में दिखाई देता है।
प्रारम्भ में पौधे की ऊपरी पत्तियाँ मुरझा जाती हैं। धीरे-धीरे पूरा पौधा सूखकर मर जाता है। जड़ के पास तने को चीर कर देखने पर वाहक ऊतकों में कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचना के रूप में दिखाई देता है।
चने की फसल में रोग नियंत्रण के उपाय
कृषि अधिकारी ने बताया कि चने की फसल में जड़ गलन, सुखा जड़ गलन एवं उकठा रोग की रोकथाम के लिए कई उपाय अपना कर किसान संभावित नुकसान से बच सकते है।
उनके मुताबिक भूमि में समुचित जल निकास की व्यवस्था होना चाहिए।
ऐसे क्षेत्र जहाँ यह रोग पहले भी लग चुके हैं उन स्थानों पर किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए।
किसान को सरसों या अलसी के साथ चना की अन्तर फसल लगाना चाहिए।
किसान रोग के संभावित क्षेत्रों में चने की रोग रोधी एवं प्रतिरोधी किस्म जैसे आरएसजी-888, सीएसजेडी-884, आरएसजी-945, आरएसजी -807, आरएसजी -902, आरएसजी -991, जीएनजी-1581, आरएसजी -974, सीएसजेके-6, जीएनजी-1958, सीएसजे-515 तथा सीएसजेके-174 आदि किस्मों का चुनाव करना चाहिए।
भूमि और बीज उपचार के बाद करें चने की बुआई
कृषि अधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि भूमि उपचार के लिए बुवाई से पहले 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा को 100 किलो गोबर की खाद में अच्छी तरह मिलाकर 10-15 दिन तक छाया में रखें।
इस मिश्रण को बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा करते समय मिट्टी में मिला दें। जड़ गलन, सूखा जड़ गलन एवं उकठा रोगों की रोकथाम के लिए कार्बन्डाजिम एक ग्राम एवं थाईरम ढाई ग्राम या 2 ग्राम कार्बोक्सीन 37.5 प्रतिशत एवं थाइरम 37.5 प्रतिशत अथवा ट्राईकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
उन्होंने बताया कि किसानों को समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा विभिन्न संवाद कार्यक्रमों, गोष्ठियों एवं स्थानीय कृषि अधिकारियों तथा कृषि पर्यवेक्षकों के माध्यम से प्रभावी उपाय बता कर फसलों में होने वाले नुकसान से बचने के लिए जागरूक किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए सलाह दी जाती है कि किसान स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक या सहायक कृषि अधिकारी या नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क कर परामर्श उपरांत प्रभावी उपाय अपनाकर कीट-व्याधियों की रोकथाम सम्बंधित कार्य कराए।
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