किसानों को अब इन कारणों से भी फसल नुकसान होने पर मिलेगा क्लेम

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान और धान फसल में जलभराव को भी शामिल कर लिया गया है। जिसे खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू किया जाएगा।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना PMFBY के तहत किसान भाई-बहनों को बड़ी सौगात दी है।

मंत्रालय ने जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है।

यह निर्णय विभिन्न राज्यों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के चलते लिया गया है।

इससे किसानों को अचानक स्थानीय स्तर पर और फसलों को हुए गंभीर नुकसान से सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है जिसे खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू किया जाएगा।

 

जंगली जानवरों से फसल नुकसान होने पर मिलेगा बीमा क्लेम

देश भर में किसान लंबे समय से हाथी, सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण बढ़ते फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं।

यह समस्या मुख्यतः वन क्षेत्रों, वन गलियारों और पहाड़ी इलाकों के निकट बसे किसानों में अधिक देखी जाती है।

अब तक ऐसे नुकसान फसल बीमा योजना के दायरे में नहीं आते थे, जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी।

अब नए संशोधित प्रावधानों के अनुसार जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के पांचवे एड-ऑन कवर के रूप में मान्यता दी गई है।

राज्य सरकारें जंगली जानवरों की सूची अधिसूचित करेंगी तथा ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर अत्यधिक प्रभावित जिलों या बीमा इकाइयों की पहचान करेंगी।

किसान को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो टैग फोटो के साथ दर्ज करनी होगी।

इस प्रावधान का लाभ सबसे अधिक उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड, प्रदेश  तथा हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के किसानों को होगा। जहाँ जंगली जानवरों द्वारा फसल क्षति एक प्रमुख चुनौती है।

 

जलभराव से धान फसल नुकसान होने पर भी मिलेगा बीमा क्लेम

तटीय एवं बाढ़ संभावित क्षेत्रों में धान की खेती करने वाले किसानों को वर्षा और नदी नालों के उफान से होने वाले जलभराव के कारण सामान रूप से भारी नुक़सान उठाना पड़ता रहा है।

वर्ष 2018 में इस जोखिम को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी से हटाए जाने से किसानों के लिए बड़ा संरक्षण अंतर उत्पन्न हो गया है।

धान जलभराव को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी में पुनः शामिल किए जाने से तटीय और बाढ़ संभावित राज्यों जैसे उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, जहाँ जलभराव से धान की फसल का नुकसान हर वर्ष दोहराया जाता है।

 

केंद्रीय कृषि मंत्री ने इन प्रावधानों को दी स्वीकृति

इन उभरती चुनौतियों को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी।

समिति की रिपोर्ट को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।

इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ अब स्थानीय स्तर पर फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत समयबद्ध और तकनीक आधारित दावा निपटान का लाभ मिलेगा।

जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान और धान जलभराव दोनों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किए जाने से अधिक समावेशी, उत्तरदायी और किसान हितैषी बन गई है, जो भारत की फसल बीमा प्रणाली को और अधिक मजबूत एवं लचीला बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

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