उन्नत किसान: प्रेरणास्रोत हैं तेवरी के अन्नदाता
कटनी. आजकल किसान एक साल में ज्यादा फसलें लेना चाहते हैं और वह भी खेत को बिना नुकसान किए।
इससे किसान को तो फायदा होता ही है, साथ ही मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ जाते हैं। इसमें तेवरी निवासी उन्नत कृषक पुरुषोत्तम सिंह ठाकुर प्रेरणास्रोत हैं।
आधुनिक तकनीक, फसल चक्र और परिश्रम से वे तीन से चार फसलें लेते हैं। पहले खरबूज, मक्का, धान व सब्जियों की उन्नत खेती कर मिसाल बने हुए हैं। वहीं अब इनकी आलू की आधुनिक खेती चर्चा में है।
पुरुषोत्तम सिंह ने बताया, इस साल 10 एकड़ में आलू की फसल लगाई है। बुवाई पूरी तरह मशीन से की गई है।
प्रति एकड़ लागत 50 हजार रुपए आई है। प्रति एकड़ उत्पादन 100 क्विंटल से अधिक होगा। संभावित लाभ लगभग 50 हजार रुपए प्रति एकड़ है।
यानी कुल मिलाकर किसान को इस साल आलू की फसल से लाखों रुपए मुनाफा होने की उमीद है।
आलू का उत्पदन जनवरी माह से शुरू हो जाएगा। फसल 90 दिन की होती है। इसे कंपनी व खुले बाजार में बेचा जाता है।
कर चुके हैं नवाचार, मिला समान
पुरुषोत्तम पिछले 20 वर्षों से खेती कर रहे हैं। पहले सिकमी जमीन में उन्नत खेती शुरू की और अब अपनी 25 एकड़ निजी भूमि तैयार कर चुके हैं।
वे लगातार फसल बदलकर खेती कम लागत में ज्यादा उत्पादन इंटरक्रॉपिंग जैसे प्रयोग करते आ रहे हैं।
स्वीट कॉर्न की उत्कृष्ट खेती के मामले आत्मा परियोजना द्वारा 2014-15 में पहला पुरस्कार मिला था।
दर्जनभर मजदूरोंको मिला रोजगार
पुरुषोत्तम ने बताया, खेत में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने के बाद भी 10 से अधिक मजदूरों को लगातार काम मिला है।
सरसों, उड़द व अरहर से भी मुनाफा
पूर्व में सरसों के सिर्फ 100 ग्राम बीज से 3 एकड़ में नर्सरी तैयार की, बीच में मेथी लगाकर लागत निकाल ली। इसमें 40-50 हजार रुपए का लाभ हुआ।
सी-ड्रिल पद्धति से उड़द और अरहर की खेती कर 4 क्विंटल उड़द व 8 क्विंटल अरहर का उत्पादन लिया और लगभग 40 हजार रुपए का लाभ कमाया।
लगातार नए प्रयोग और फसलों में परिवर्तन से उनकी पैदावार भी अधिक होती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।
उनका मानना है कि किसान अगर परंपरागत खेती से आगे बढ़कर नई तकनीकों का उपयोग करें तो कम भूमि में भी अधिक कमाई की जा सकती है।
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