काबर्न खेती को कार्बन विधि भी कहते हैं। इसका मुय उद्देश्य कम लागत में अधिक उपज प्राप्त करना है।
इसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और आधुनिक मशीनों का कम से कम उपयोग होता है और यह जैविक सामग्री, प्राकृतिक प्रक्रियाओं और फसल चक्र पर आधारित होती है।
फायदे की फसल
रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों का इस्तेमाल न करने से किसानों का खर्च बहुत कम हो जाता है। जैविक सामग्री के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और संरचना बेहतर होती है।
यह विधि पानी और हवा को प्रदूषित होने से बचाती है, क्योंकि इसमें कोई भी हानिकारक रसायन इस्तेमाल नहीं होता है। इस विधि से उपजी फसलें अधिक पौष्टिक होती हैं।
कम लागत में फसल
कम लागत के कारण, किसान अधिक मुनाफा कमाते हैं। साथ ही, जैविक उत्पादों की बाजार में मांग भी बढ़ रही है, जिससे उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलता है।
कैसे करते हैं खेती?
फसल चक्र: एक ही खेत में किसान अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
मिश्रित खेती: एक ही खेत में कई तरह की फसलें उगाना जैसे, सब्जियों के साथ दालें या अनाज के साथ औषधियों की खेती।
प्राकृतिक उर्वरक:गोबर खाद, कंपोस्ट और हरी खाद का उपयोग। इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और पानी सोखने की क्षमता भी बढ़ती है।
कीट नियंत्रण:कीटनाशकों के बजाय नीम के तेल, लहसुन व मिर्च से बने प्राकृतिक घोल का इस्तेमाल।
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