MSP पर रबी दलहन-तिलहन फसलों की खरीद कब होगी शुरू?

SOPA ने सरकार के इस कदम पर उठाया सवाल

सरकार सहकारी संस्था नैफेड और एनसीसीएफ के माध्‍यम से अगले महीने से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर रबी दलहन और तिलहन फसल की खरीद शुरू करने जा रही है.

वहीं, सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने मौजूदा स्थित‍ि को देखते हुए सरकार की ओर सोयाबीन स्‍टॉक को खुले बाजार में बेचने के फैसले पर सवाल उठाए हैं.

देश में इस रबी सीजन में दलहन फसल के बुवाई के रकबे में बढ़ोतरी हुई और तिलहन फसलों के रकबे में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

इस बीच, अब अगले महीने से इन दोनों फसलों की एमएसपी पर सरकार खरीद शुरू होने जा रही है.

सरकार की ओर से  सहकारी संस्था नैफेड और एनसीसीएफ अगले महीने से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद शुरू करने जा रहे हैं.

इन संस्‍थाओं ने मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीफ सीजन में तिलहन की भी रिकॉर्ड खरीद की है.

वहीं, सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने मौजूदा स्थित‍ि को देखते हुए सरकार की ओर सोयाबीन स्‍टॉक को खुले बाजार में बेचने के फैसले पर सवाल उठाए हैं.

 

15 मार्च तक खरीद शुरू होने की उम्‍मीद

फाइनेंशि‍यल एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रबी सीजन की दलहन फसल- चना और मसूर की खरीद 15 मार्च तक शुरू हो सकती है.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने रबी सीजन के लिए प्राइस सपोर्ट स्‍कीम (PSS) के तहत कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में 1.7 मीट्रिक टन चना और मसूर की खरीद को स्‍वीकृति दी है.

वहीं, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम और तेलंगाना में 0.6 मीट्रिक टन सरसों की खरीद को मंजूरी दी गई है.

 

इन राज्‍यों से प्रस्‍ताव आने की उम्‍मीद

रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों  का कहना है कि रबी तिलहन और दलहन की खरीद को लेकर प्रमुख उत्पादक राज्यों- उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से जल्द ही प्रस्ताव मिल सकता है.

दरअसल, ग्‍लोबल सप्‍लाई ज्‍यादा होने से भारत में सोयाबीन की कीमतें प्रभावित हुई हैं, इसमें सिर्फ 18-20 प्रतिशत ही तेल प्राप्‍त होता है, जबकि‍ शेष का खली के रूप में पशु आहार के लिए इस्‍तेमाल होता है.

वहीं, सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने मंगलवार को कृषि मंत्रालय से नेफेड द्वारा तिलहन स्टॉक को खुले बाजार में बेचने से रोकने की मांग की है.

SOPA ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से सोयाबीन की कीमतें और गिरेंगे, जिससे परेशान होकर किसान आगामी खरीफ सीजन में सोयाबीन की फसल नहीं लगाएंगे.

 

‘सोयाबीन से दूरी बना सकते हैं किसान’

अभी सोयाबीन का मंडी भाव 3900 रुपये से 4100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि‍ एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल है.

ता दें कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के मुताबिक, एक क्विंटल सोयाबीन उगाने में किसानों के 3,261 रुपये खर्च होते हैं.

ऐसे में अगर उन्‍हें उपज का सही दाम नहीं मिलता है तो वे किसी अन्‍य वैकल्पिक फसल की खेती की ओर रुख कर सकते हैं.

SOPA के अध्यक्ष दविश जैन ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार ने सोयाबीन बेचने का फैसला गलत समय पर लिया है और इससे सोयाबीन की कीमतें और गिरेंगी.

सोपा के मुताबिक, नैफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों के पास मौजूद सोयाबीन को खरीफ की बुआई पूरी होने के बाद ही 15 जुलाई 2025 के बाद ही खुले बाजार में बेचा जाना चाहिए, ताकि किसान बिचके ना.

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