हैप्पी सीडर कृषि यंत्र पर मिलता है 1 लाख रुपये का अनुदान

कृषि मंत्री ने बताए फायदे

कृषि मंत्री किसान कल्याण मंत्री एदल सिंह कंषाना ने बताया कि हैप्पी सीडर कृषि यंत्र से ना केवल फसल अवशेषों (नरवाई) का प्रबंधन किया जा सकता है बल्कि बिना जुताई के अगली फसल की बुआई भी की जा सकती है।

जिससे फसल उत्पादन की लागत तो कम होती ही है साथ ही फसलों की पैदावार भी बढ़ती है।

आज के समय में खेती के लिए बुआई से लेकर कटाई और उसके बाद फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए कई प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध है।

किसान इन कृषि यंत्रों का उपयोग कर फसलों की लागत को कम कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

इस कड़ी में मध्य प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एदल सिंह कंषाना ने बताया कि हैप्पी सीडर कृषि यंत्र से ना केवल फसल अवशेषों का प्रबंधन होता है बल्कि बिना जुताई के अगली फसल की बुआई भी की जा सकती है।

जिससे फसल उत्पादन की लागत तो कम होती जी है साथ ही फसलों की पैदावार भी बढ़ती है।

कृषि मंत्री ने कहा कि नरवाई यानि की फसल अवशेष जलाने के नुकसान को रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर द्वारा फसल काटकर सीधे बोनी की जाती है।

नरवाई से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। नरवाई मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जोड़ती है, जिससे मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता और उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

इसके साथ ही नरवाई मिट्टी की सतह को ढंककर रखती है, जिससे वाष्पीकरण कम होता है और मिट्टी में नमी बनी रहती है।

 

हैप्पी सीडर कृषि यंत्र के फायदे

कृषि मंत्री ने बताया की हैप्पी सीडर कृषि यंत्र से बुआई करने पर फसल अवशेष मिट्टी में ही मिल जाते हैं जिससे खरपतवारों के अंकुरण और विकास को दबाने में मदद मिलती है। फसल अवशेष (नरवाई) मिट्टी को बहने और कटने से बचाती है और धीरे-धीरे विघटित होकर मिट्टी में पोषक तत्वों को वापस लाती है।

फसल अवशेष मल्च के रूप में कार्य करती है, जो शून्य जुताई जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है।

ग्रीष्मकालीन मूंग की बोनी में नरवाई प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है। पिछली फसल की कटाई के बाद नरवाई को खेत में ही छोड़ दें और यदि नरवाई बहुत अधिक है, तो उसे काटकर फैला दें ताकि मूंग की बोनी में आसानी हो।

यह विधि मिट्टी की नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने और मिट्टी के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है।

शून्य जुताई विधि अपनाने वाले किसानों के लिए यह विधि महत्वपूर्ण है। पिछली फसल की कटाई के बाद खेत की हल्की जुताई करें ताकि फसल अवशेष मिट्टी में मिल जाए।

यह फसल अवशेष के विघटन को तेज करता है और मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाता है।

 

किसानों को हैप्पी सीडर पर दी जाती है सब्सिडी

कृषि मंत्री कंषाना ने कहा कि किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिक जुताई मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

यदि मेड़ और कुंड विधि से मूंग की बोनी की जा रही हो तो फसल अवशेषों को काटकर मेड़ों पर लगाया जा सकता है। यह खरपतवार नियंत्रण और नमी संरक्षण में मदद करेगा।

फसल अवशेष (नरवाई) को अन्य जैविक कचरे के साथ मिलाकर खाद बनाई जा सकती है।

यह खाद मूंग की फसल के लिए एक उत्कृष्ट जैविक उर्वरक के रूप में काम करेगी।

यदि पिछली फसल में कोई बीमारी या कीट हों तो नरवाई को खेत में छोड़ने से पहले उसे उपचारित करना चाहिए।

कृषि मंत्री ने कहा कि हैप्पी सीडर को किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर खरीद सकते हैं।

इसकी अनुमानित राशि 2 लाख 60 हजार रुपये से लेकर 2 लाख 85 हजार रुपये तक है।

इस पर 1 लाख 5 हजार रुपये का अनुदान भी कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा दिया जाता है।

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