फसल उत्पादन में आने वाली लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए जीवामृत वरदान के रूप में कार्य कर रहा है।
जीवामृत की एक यूनिट से 100 एकड़ तक खेती की जा सकती है। जीवामृत को सिंचाई के साथ खेती में उपयोग करने से भूमि में लाभदायक जीवाणुओ की संख्या बढती है।
मृदा स्वस्थ बनती है, और गुणवत्ता युक्त फसल मिलती है। इसी के साथ जीवामृत के उपयोग से मिट्टी में केचुओं की संख्या बढ़ती है।
जीवामृत
इस कड़ी में एमपी के सीहोर जिले के ग्राम सालीखेडा में कई किसान जीवामृत बनाकर खेती कर रहे हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये है।
दरअसल समर्थन संस्था द्वारा पिछले 2 वर्षों से गांव में जैविक खेती को बढावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
इसके लिए सर्वप्रथम गांव में 2023 में किसान संजय बरेला के खेत पर बोयो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) की स्थापना की गई थी।
प्राकृतिक खेती के लिए गो मूत्र है जरुरी
प्राकृतिक खेती के लिए सबसे ज्यादा जरुरी गो मूत्र है। इसके लिए संस्था द्वारा गोमूत्र कलेक्शन के लिए यूनिट बनाई गई।
जिसके बाद किसान संजय बारेला के खेत पर 5 प्लास्टिक के ड्रम और गोमूत्र कलेक्शन सेंटर के माध्यम से (बीआरसी) को प्रारम्भ किया गया।
जिसमें कीट प्रबंधन के लिए चार चटनी, पांच पत्ती काडा, नीम अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र जैसे जैविक कीटनाशकों और ग्रोथ प्रमोटर एवं टॉनिक के स्थान पर सोया टॉनिक और कंडा पानी, जीव अमृत का प्रयोग किया गया।
बीआरसी सेंटर को धीरे- धीरे तकनीकी रूप से अपडेट किया गया, जिमसे जैविक कीटनाशकों को बनाने के लिए कटाई और पिसाई के लिए ग्रेवी मशीन का उपयोग किया गया जिससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा दवाइयों को बनाया जा सके।
बीआरसी से 40 किसानों को जोड़ा गया। आज किसान अपनी 2 एकड़ से लेकर 14 एकड़ में जैविक आदानों का प्रयोग कर रहे है।
एडवांस जीवामृत बनाने की विधि
बड़े स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एडवांस जीवामृत इकाई की स्थापना फायदेमंद हो सकती है।
- जीवामृत को बनाने के लिए 4-5 दिन पुराना कचरा हटाकर 200 किग्रा गोबर,
- 100 किग्रा पीसा हुआ कद्दू, 75 किग्रा गुड के पानी का घोल,
- 10 किग्रा चावल का पानी,
- 100-150 लीटर गौमूत्र,
- 100-200 लीटर छाछ,
- 20 किग्रा बेसन,
- 20 किग्रा पिसा हुआ एलोवेरा,
- 50 किग्रा सरसो पाउडर,
- 3 लीटर लिक्विड कल्चर,
- 1 लीटर soil charger liquid,
- एक बैग और पानी की आवश्यकता होती है,
- तथा इसके अलावा इसमें घर से निकलने वाले सब्जी के कचरे का भी उपयोग किया जा सकता है।