कपास की फसल को कीट रोगों से बचाया जा सके इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार किसानों के खेतों में जाकर निरीक्षण किया जा रहा है साथ ही किसानों को कपास की फसल में लगने वाले कीट रोगों के नियंत्रण की जानकारी दी जा रही है।
इस कड़ी में खरगोन जिले के कृषि उपसंचालक ने किसानों के लिए सलाह जारी की है।
कृषि विभाग के उप संचालक मेहताब सिंह सोलंकी ने समस्त किसानों को सलाह दी है कि यदि कपास के पौधे मुरझाते हुए घेरे में दिखाई देते है तो उसमें कार्बेन्डाजिम 01 ग्राम या कॉपर आक्सीक्लोराइड 03 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से पौधों की जडों में ट्रेंचिंग (टोहा) करें।
कपास की फसल
उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं पर कपास फसल के पौधों के पत्तों में सिकुड़न पाई गई है। जिसमें रस चुसक कीट जैसे थ्रिप्स, हरा मच्छर का प्रकोप देखा गया।
इनके नियंत्रण के लिए फ्लोनिकोमाइड 50 डब्ल्यूपी 06 ग्राम/पम्प या फिप्रोनिल 20 एमएल प्रति पम्प छिड़काव करने की सलाह दी है।
अधिक प्रकोप होने पर फिप्रोनिल प्लस इमिडाक्लोरोप्रिड के मिश्रण का भी छिड़काव करने की सलाह दी है।
कपास में गुलाबी इल्ली का नियंत्रण
कपास में गुलाबी इल्ली के प्रबंधन के लिए कपास में फुल अवस्था में प्रति एकड़ खेत में 4 फेरोमेन प्रपंच लगाये, इनमें प्रतिदिन एकत्रित होने वाली वयस्क पंखियों का रिकार्ड रखे, जैसे ही खेत में प्रति प्रपंच 8 या अधिक पंखी आने लगे तब खेत में बिना किसी भेदभाव के 10 हरे घेटों का चयन करें।
इन हरे घेटो में इल्लियों की उपस्थिति को देखें, यदि औसत रुप से 1 या अधिक घेटों में कीट प्रकोप है तब कीटनाशकों का उपयोग प्रारंभ करें।
प्रारंभ में प्रोफेनोफास या थायडीओकार्ब जैसे कम विषैले कीटनाशकों में से किसी एक का चयन कर उपयोग करें।
फसल में कीट का अधिक प्रकोप होने की स्थिति में लेमडासायहेलोथ्रिन या एमिमोमेकटीन बेंजोएट या इन्डोक्साकार्ब जैसे अधिक विषैले कीटनाशकों का उपयोग कर सकते है।
मक्का में फाल आर्मी वर्म कीट का नियंत्रण
सहायक संचालक कृषि प्रकाश ठाकुर ने बताया कि मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप दिखाई देने पर, उसके बचाव के लिए फ्लूबेंन्डामाइट 20 डब्ल्यू डीजी 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या स्पाईनोसेड 15 ईसी, 200 से 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर या एमिमोमेकटीन बेंजोएट 5 एसजी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर में कीट प्रकोप की स्थिति अनुसार 15 से 20 दिन के अन्तराल पर 2 से 3 छिड़काव करें अथवा कार्बाफ्युरॉन 3जी 2 से 3 किग्रा प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें।
दानेदार कीटनाशकों का उपयोग पौधे की पोंगली में (5 से 10 दाने प्रति पोंगली) करने की सलाह दी है।