गर्मी में लगाई जाने वाली मूंग में दवाओं के छिड़काव को लेकर कृषि मंत्री ने जारी की सलाह

आजकल किसान अतिरिक्त आय के लिए गर्मी के मौसम में ग्रीष्मकालीन मूंग, उड़द और मक्का आदि की खेती करने लगे हैं।

ऐसे में फसल कम समय में पककर तैयार हो जाए इसके लिए किसानों द्वारा अंधाधुंध कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।

जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ने किसानों के लिए सलाह जारी कर कहा है कि किसान ग्रीष्मकालीन मूंग में कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक दवाईयों का उपयोग कम करें।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 14.39 लाख हेक्टेयर में तीसरी फसल के रूप में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल ली जा रही है, जिसका उत्पादन 20.29 लाख मेट्रिक टन एवं औसत उत्पादकता 1410 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।

ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती मुख्यतः नर्मदापुरम, जबलपुर एवं भोपाल संभाग में की जाती है।

 

किसान करें कम दवाओं का इस्तेमाल

कृषि विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश में ग्रीष्‍मकालीन मूंग की खेती से किसानों की आय में वृद्धि हुई है, परंतु इसमें कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक दवा का उपयोग अधिक किया जा रहा है।

साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि फसल को जल्द पकाने के लिये खरपतवार नाशक दवा (पेराक्‍वाट डायक्‍लोराइड) का भी उपयोग अधिक हो रहा है।

इन कीटनाशक / खरपतवार नाशक दवा के अंश मूंग फसल में शेष रह जाते हैं, जो कि सेहत के लिए हानिकारक हैं।

कृषि मंत्री ने सभी किसान भाइयों से अपील है कि ग्रीष्‍मकालीन मूंग की फसल में कीटनाशक/खरपतवार नाशक दवा का उपयोग कम से कम करें, जिससे मानव शरीर पर इसका दुष्प्रभाव कम हो।

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