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इदारतपुरा के अमरूदों का जायका दिल्ली बाम्बे को भाया

 

उद्यानिकी 20 विभाग ने क्लस्टर में बनाया बगीचों का गॉव

 

खरगोन 06 दिसंबर 2020/ जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित इदारतपुरा के किसान इन दिनों दिल्ली मुंबई जैसे बड़े नगरों में अमरूद की फसल पहुंचाने में मशरूफ है। इदारतपुरा के किसान वीएनआर और पिंक अमरूद की फसल बहुतायत में ले रहे है। किसानों ने बताया है कि अमरूद की इन दो किस्मों को सीधे खाने के बनिस्बत सलाद के तौर पर ज्यादा पसंद किया जाता है। साथ ही इनमें ग्लूकोस कम होने से शुगर के रोगियों के लिए फलो में यह पहली पसंद है। इदारातपुरा के ऐसे कई किसान है, जो स्वयं अपने खेतो में ही इसकी पैकिंग कर परिवहन के लिए सीधे दिल्ली और मुंबई के बाजार में परिवहन कर देते है। उनका कहना है कि पारंपरिक खेती से कहीं बेहतर मुनाफा होने लगा है। इसलिए गांव के कई किसान उद्यानिकी की फसलों की ओर रूख करने लगे है।

 

वर्षों से निमाड़ में कपास और मिर्च की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन कुछ वर्षों से मौसमी वातावरण से फसलों को हानि और सरकारी मशीनरी का किसानांे कि ओर सक्रिय होकर लाभ के साथ ही नवीन तकनीकों से किसानों को रूबरू कराने से बदलाव आया है, जिसका परिणाम खेतों में खासकर इदारतपुरा की भूमि पर देखने को मिलता है। यहां के किसान इतने दक्ष हो गए है कि अमरूदों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए पेड़ों पर ही उनका पोषण इस तरह करते है कि खेतों से सीधे बाजार में गुणवत्ता के साथ पहुंचता है।

 

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बगीचों का गांव कहने लगे है लोग

लगभग 5 वर्ष पूर्व इस गांव में किसी प्रकार बाग नहीं था, मगर उद्यानिकी विभाग की सक्रियता ने सिर्फ 4 से 5 वर्षों में गांव की पहचान ही बदल दी है। मप्र शासन के उद्याानिकी विभाग ने गत वर्षों में अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अब विभाग क्लस्टर में बाग-बगिचों की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में बढ़ा है, जो इस गांव की सफलता का बड़ा राज भी है। इदारतपुरा के आसपास के गांव के लोग अब इसे बगीचों का गांव भी कहने लगे। वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी पर्वतसिंह बड़ोले बताते है कि वर्ष 2016-17 में इदारतपुरा के किसानों को उद्यानिकी फसल के लिए प्रेरित करने के प्रयास शुरू किए गए। आज यहां 22 किसान अमरूद और 5 किसान सिताफल के बाग विकसित कर चुके है। इनमें से करीब 12 किसान अपनी अमरूद की फसल दिल्ली मुंबई जैसे बड़े नगरों में सीधे खेत से ही भेज रहे है। इदारतपुरा में 40 हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद और 5 हेक्टेयर क्षेत्र में सीताफल की उन्नत खेती की जा रही है।

 

यहां के किसान राजेश मांगीलाल पाटीदार ने अमरूद की पहली फसल 30 क्विंटल, दूसरी फसल 400 क्विंटल और तीसरी फसल से नवंबर माह तक 30 लाख रूपए की 800 क्विंटल और राजेश जगदीश पाटीदार ने पहली फसल 550 क्विंटल से 27 लाख रूपए, दूसरी फसल 675 क्विंटल से 29 लाख रूपए का मुनाफा लिया है। जबकि इनकी तिसरी फसल नवंबर माह तक 600 क्विंटल अमरूद बेंच चुके है। इदारतपुरा में अमरूद के लिए 22 किसानों और सीताफल के 5 किसानों को 109 लाख रूपए का शासकीय लाभ दिया गया है।

 

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किसानों के पास है उन्नत तकनीक

इदारतपुरा के किसानों ने न सिर्फ मेहनत बल्कि तकनीक का भरपुर उपयोग किया है। किसान पेड़ों पर फल आने के बाद से फल को फोम, प्लॉस्टिक और फिर पेपर से इसलिए कवर करते है कि सूर्य की तेज किरणों व धूप से अमरूद दाग रहित हो और पक्षी से बचाने के साथ ही उनका पोषण उचित रूप से हो सके। उद्यान विस्तार अधिकारी श्री बड़ोले ने बताया कि क्लस्टर में बगीचे लगाने से परिवहन की सुविघा के साथ-साथ तकनीकी रूप से गोष्टी या अन्य तरह की तकनीकि जानकारी एक साथ उपलब्ध कराने में भी बड़ी सुगमता होती है।

 

वीएनआर और पिंक अमरूद की फसल 16-17 माह में प्रारंभ हो जाती है। इदारतपुरा के किसान खेतों में पैंकिग कर अपने नामों के ब्रांड जैसे-एमआर, केआर और अन्य किसान भी इस तरह की ब्राडिंग शुरू कर चुके है। वहीं इन किसानों द्वारा 700 से 800 ग्रा. के अमरूद उपजा रहें है।

 

 

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