पौधों को जीवाणुओं से बचाएगा अरंडी की पत्ती का अर्क

खरपतवार से कीटनाशक बनाने का दुनिया में पहला प्रयोग होने का दावा, फसलों की सुरक्षा करेगा अर्क

खेतों में खड़ी फसल हो या गमले में लगे पौधे। पादपों को फाइटोप्लाज्मा (जीवाणु) और कीड़ों से बचाने के लिए, कोटनाशक का ऐसा गैर रासायनिक विकल्प मिलने जा रहा है जिसे अरंडी की पत्ती के अर्क से तैयार किया गया है।

पर्यावरण के अनुकूल यह कीटनाशक न केवल पौधों में जीवाणु संक्रमण दूर करेगा बल्कि उन्हें रोगरहित बने रहने में भी मदद करेगा।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग की सहायक आचार्य डा. स्मृति मल्ल ने पहले लैब फिर हरी मिर्च के सूख रहे पौधे पर छह महीने प्रयोग कर इस फार्मूले को तैयार किया है। इसे पेटेंट मिल चुका है।

डा. स्मृति का यह शोध पौधों को रोगरहित बनाने में तो मदद करेगा ही, अरंडी जैसे खरपतवार के उपयोग का रास्ता दिखाकर पौधों पर रासायनिक उपचारों की निर्भरता को भी कम करेगा।

उनका दावा है कि अरंडी जैसे खरपतवार की श्रेणी में आने वाले पौधे के पत्ते से कीटनाशक बनाने को लेकर उनका शोध दुनिया में पहले कभी नहीं हुआ।

 

इन फसलो के पौधो पर अत्यधिक प्रभावी

डा. स्मृति ने अध्ययन के दौरान पाया कि फाइटोप्लाज्मा जैसे जीवाणु विभिन्न प्रकार के पौधों की बीमारियों का कारण बनते हैं। यह जीवाणु कृषि और बागवानी दोनों तरह के पौधों के पत्तों को सुखा देते हैं। इन पर रसायनयुक्त कीटनाशक भी कई बार प्रभावी नहीं हो पाते।

इस समस्या से निजात को लेकर शोध के क्रम में उनका ध्यान अरंडी के पौधों पर गया, जिसे फाइटोप्लाज्मा संक्रमित नहीं कर पाते।

उसके बाद उन्होंने अरंडी के पौधे की पत्तियों की खूबी का अध्ययन किया तो पाया कि वह जीवाणु को नष्ट करने में भी प्रभावी हो सकते हैं। इसी क्रम में उन्होंने पत्तियों का अर्क तैयार किया और मिर्च के जीवाणु संक्रमित पौधे पर पानी मिलाकर उसका छिड़‌काव किया।

पानी में अर्क की मात्रा बढ़ाने के दौरान उन्होंने एक स्तरपर पाया कि पौधे का संक्रमण दूर हो गया और सूख चुका पौधा फिर से हरा-भरा हो गया।

डा. स्मृति का कहना है कि सब्जी, गन्ना और उद्यान में लगाए जाने वाले पौधों पर अत्यधिक प्रभावी होगा।

 

सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल है

डा. स्मृति बताती हैं कि अरंडी की पत्ती के अर्क से तैयार कीटनाशक काफी सस्ता होगा क्योंकि अरंडी एक खरपरतवार है और उसकी उपलब्धता सर्वत्र है।

कं तैयार करने में मामूली खर्च ही कीटनाशक की लागत होगी। इसके अलावा यह कीटनाशक पौधे की पत्ती से तैयार किए जाने के चलते पर्यावरण के अनुकूल भी है।

 

किसानों तक जल्द पहुंचाने की तैयारी

पेटेंट कार्यालय से प्रमाण पत्र प्राप्त होने के बाद अब डा. स्मृति अरंडी की पत्तियों से तैयार अर्क को बाजार के जरिये किसानों तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए प्रयास कर रही हैं।

सके लिए वह कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों से संपर्क करने में प्रयासरत हैं। जब यह कीटनाशक किसानों तक पहुंच जाएगा, तभी इसकी सार्थकता होगी।

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