एमपी में बढ़ी ठंड, बर्फबारी का असर, पारा 2-3 डिग्री और गिरेगा

कई जिलों में घना कोहरा

प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और अगले 24 घंटे में न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री तक और गिर सकता है। पचमढ़ी और कल्याणपुर में पारा 5 डिग्री से नीचे है।

ग्वालियर, रीवा और सतना समेत कई जिलों में घना कोहरा छाया है, जिससे दृश्यता 50 से 200 मीटर तक सिमट गई।

उत्तर भारत में हो रही बर्फबारी का असर मध्यप्रदेश में दिखने लगा है। प्रदेश में ठंड लगातार बढ़ रही है और बुधवार रात से सर्दी और तीखी होने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, न्यूनतम तापमान में अगले 24 घंटे में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक और गिरावट दर्ज की जा सकती है।

फिलहाल पचमढ़ी और शहडोल का कल्याणपुर ऐसे इलाके हैं, जहां रात का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना हुआ है।

इधर, प्रदेश के उत्तरी हिस्से घने कोहरे की चपेट में हैं। ग्वालियर, रीवा और सतना में दृश्यता 50 से 200 मीटर तक सिमट गई है, जिससे हालात जीरो विजन जैसे हो गए हैं।

दमोह, खजुराहो, नौगांव, मुरैना, सीधी, दतिया, इंदौर, भोपाल, राजगढ़, उज्जैन, शाजापुर, सीहोर और देवास में भी सुबह 6 से 8 बजे के बीच घना कोहरा छाया रहा।

बुधवार सुबह भी कई जिलों में यही स्थिति देखने को मिली। कम विजिबिलिटी के कारण कई जगह सड़कों पर वाहन चलाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

जानिए आपके शहर में मौसम की स्थिति क्या है और आने वाले तीन दिनों में ठंड-कुहासे का क्या असर रहेगा।

 

आज का मौसम कैसा रहा?

बुधवार सुबह ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मैहर, मऊगंज, सीधी, सिंगरौली और शहडोल में घना कोहरा छाया रहा।

वहीं भोपाल, इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, देवास, राजगढ़, रायसेन और विदिशा में मध्यम स्तर का कोहरा देखा गया।मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा के मुताबिक, अगले दो दिनों में कोहरे का असर थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन ठंड और तेज होगी।

न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री तक की और गिरावट संभव है। अगले पांच दिनों तक प्रदेश में मौसम शुष्क बना रहेगा और बारिश की कोई संभावना नहीं है।

 

नवंबर-दिसंबर में टूटा ठंड का रिकॉर्ड

इस साल सर्दी ने नवंबर और दिसंबर दोनों महीनों में रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भोपाल में नवंबर के दौरान लगातार 15 दिनों तक शीतलहर चली, जो 1931 के बाद सबसे लंबा दौर माना जा रहा है।

17 नवंबर की रात भोपाल में तापमान 5.2 डिग्री तक पहुंच गया था, जो अब तक का सबसे निचला स्तर रहा।

इंदौर में भी 25 साल बाद नवंबर में तापमान 6.4 डिग्री तक लुढ़का, जो सीजन की सबसे ठंडी रात रही। दिसंबर में भी दोनों शहरों में पारा 5 डिग्री से नीचे तक जा चुका है।

मौसम विभाग के अनुसार, जिस तरह मानसून में जुलाई और अगस्त सबसे अहम महीने होते हैं, उसी तरह कड़ाके की ठंड के लिए दिसंबर और जनवरी सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।

इन महीनों में उत्तर भारत से सर्द हवाओं का प्रभाव अधिक रहता है, जिससे तापमान तेजी से गिरता है। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने पर मावठा भी गिरता है, जिससे दिन में भी ठंड का असर बढ़ जाता है।

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