रबी सीजन अब अपने अंतिम प्रड़ाव पर है. अगला सीजन जायद फसलों का है, जिसमें कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं.
अगर आप भी जायद सीजन में अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो खीरे की खेती कर सकते हैं. जिसकी बुवाई अब शुरू की जा सकती है.
खीरे को जायद का हीरा भी कहा जाता है और यह इस सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसकी खेती सिर्फ इसी सीजन में की जाती है.
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
वैसे तो खीरे की खेती हर जगह की जा सकती है. इसके लिए हर तरह की मिट्टी कारगर होती है. हालांकि, इसकी सफलतापूर्वक खेती के लिए बलुई दोमट तथा मटासी मृदा उत्तम मानी जाती है.
उन्नत किस्में
अगर किसान अच्छी किस्मों की खेती करें तो वे अपना मुनाफा और बढ़ा सकते हैं. इसके लिए उन्हें खीरे की उन्नत किस्मों की जानकारी होनी आवश्यक है.
खीरे की उन्नत किस्मों में पूसा संयोग, पाइनसेट, खीरा-90, टेस्टी, मालव-243, गरिमा सुपर, ग्रीन लॉंग, सदोना, एन.सी.एच.-2, रागिनी, संगिनी, मंदाकिनी, मनाली, य.एस.-6125, यू.एस.-6125, यू.एस.-249 शामिल हैं.
बीज बोने का सही समय
बीज बोने का समय विशेष स्थान और जलवायु पर निर्भर करता है. शीत रूपी फसल के लिए, बीज बोने का समय फरवरी के मध्य से मार्च के पहले सप्ताह तक होना चाहिए.
एक हेक्टेयर खेत के लिए 2.5 से 3.0 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है. बीज को उपचारित करने के लिए बीज को चौड़े मुंह वाले मटके में डालें और 2.5 ग्राम थाइरम दवा प्रति किलोग्राम बीज के मूल्य से मिलाएं.
दवा को बीज के अच्छे से मिश्रित करने के लिए मटका में दवा और बीज डालें और दोनों हाथों से कई बार ऊपर-नीचे करें ताकि दवा बीज के सभी ओर आच्छादित हो सके.
सींचाई
खीरे की खेती में सींचाई काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे सींचाई पर विषेश ध्यान दें. फसल में फूल आने के बाद हर पांच दिन के अन्तर पर सिंचाई करें.
वहीं, जिन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की कमी है, वहां ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे खेत में पर्याप्त नमी बनी रहती है, साथ ही सिंचाई जल की आवश्यकता भी कम होती है.
कटाई और पैदावार
खीरे की फसल की अवधि 45 से 75 दिनों होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग 100 से 150 क्विंटल उत्पादन होता है.
खीरे की अप्रिय फसल को ग्लास हाउस में उगाकर अच्छी कमाई हासिल की जा सकती है.
यह एक ऐसी फसल है, जिससे छोटे किसान भी लाखों की कमाई कर सकते हैं.
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