उड़द दाल की खेती किसानों को कर देगी मालामाल

गर्मी के मौसम में उड़द दाल की खेती करना किसानों के लिए काफी अच्छा रहेगा क्योंकि बाजार में उड़द की डिमांड सालों भर बनी रहती है और इसकी कीमत भी अच्छी रहती है.

लेकिन अच्छा मुनाफा कमाने के लिए जरूरी है कि इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो,

आइए जानते है कि कैसे करें इसकी खेती और किन बातों का रखें ख्याल.

 

बुवाई का सही समय और तरीका

गर्मी का मौसम आ गया है. खेत में नई फसलों की बुवाई का समय है.

ऐसे में आज हम एक ऐसी दलहनी फसल की खेती के बारे में बताएंगे, जिसकी डिमांड बाजार में पूरे साल रहती है.

इस वजह से इसकी खेती करना किसानों के लिए मुनाफे वाला सौदा साबित होगा. हम बात कर रहे हैं उड़द दाल की खेती की.

उड़द को दलहनी फसलों में प्रमुख फसल माना जाता है.

इसकी खेती के लिए गर्मी का मौसम सही समय होता है क्योंकि इस दौरान तापमान में थोड़ी नमी रहती है.

गर्मी का मौसम उड़द की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

अप्रैल के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई स्टार्ट कर देनी चाहिए क्योंकि इसके विकास के समय 30 से 40 डिग्री का तापमान सही होता है.

 

किस तरह की  मिट्टी होती है अनुकूल?

उड़द की बुवाई के लिए हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, उसे अधिक उपयुक्त माना जाता है.

 पीएच मान 7-8 के बीच वाली भूमि उड़द के लिए उपजाऊ होती है.

उड़द की खेती में अम्लीय व क्षारीय भूमि बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती है.

बारिश के शुरू होने के बाद दो- तीन बार हल या बखर चलाकर खेत को समतल करें.

वर्षा आरम्भ होने के पहले बोनी करने से पौधों की पैदावार अच्छी होती है.

 

इस तरह से करें उड़द की बुवाई

किसी भी फसल की अच्छी उपज के लिए सही तरीके से बुवाई होना अति आवश्यक है.

ऐसे में उड़द की बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

वहीं पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बीज को भी कम से कम 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं.

खेत में बुवाई के समय अगर नमी न हो तो एक सिंचाई कर दें.

वहीं नींदानाशक बासालिन 800 मिली. से 1000 मिली. प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में घोल बनाकर जमीन बखरने के पहले खेत में छिड़कने से अच्छे परिणाम मिलते हैं.

 

कीटों और रोग से करें बचाव

उड़द की फसलों में कीट और रोग का खतरा बना रहता है.

ऐसे में समय रहते इसका प्रबंधन कर लेने से किसान अपने फसलों को नुकसान होने से बचा सकते हैं.

फसलों में रोगों की पहचान करें, फिर इसके अनुसार इसमें उपरोक्त कीट नाशकों का छिड़काव करें.

अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग दवा का छिड़काव किया जाता है. ऐसे में इसके लिए फसलों के चिकित्सक से संपर्क करें.

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