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डेयरी सेक्टर से चलता है 8 करोड़ किसानों का घर

 

डेयरी क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को आजीविका प्रदान करता है

 

इसमें मुख्य रूप से छोटे और सीमांत और भूमिहीन किसान है.

 

विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर केंद्रीय मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह की अध्यक्षता में वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

हर साल पहली जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता. इस अवसर पर बोलते हुए, मंत्री जी ने कहा कि भारत डेयरी देशों में एक वैश्विक लीडर है और 2019-20 के दौरान 198.4 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया.

2018-19 के दौरान दूध के उत्पादन का मूल्य वर्तमान कीमतों पर 7.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जो गेहूं और धान के कुल उत्पादन के मूल्य से भी अधिक है.

 

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जानिए कहां होता है सबसे ज्यादा दूध

पिछले 6 वर्षों के दौरान दुग्ध उत्पादन 6.3 प्रतिशतप्रति वर्ष की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जबकि विश्व दुग्ध उत्पादन 1.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है.

दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2013-14 में जहां 307 ग्राम थी बढ़कर 2019-2020 में 406 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन हो गई है जो कि 32.24 प्रतिशत की वृद्धि है.

दूध उत्पादन मामले में भारत पहले स्थान पर हैं. यूपी, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं कर्नाटक भारत के सबसे बड़े दूध उत्पादक राज्य हैं.

 

8 करोड़ किसान इस कारोबार से जुड़े

उन्होंने आगे कहा कि हमारा डेयरी क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को आजीविका प्रदान करता है इसमें मुख्य रूप से छोटे और सीमांत और भूमिहीन किसान है.

देश की डेयरी सहकारी समितियों को अपनी बिक्री का औसतन पचहत्तर प्रतिशत किसानों को प्रदान करती है और 2 करोड़ से अधिक डेयरी किसान डेयरी सहकारी समितियों में संगठित हुए और 1.94 लाख डेयरी सहकारी समितियां दूध गांवों से दूध एकत्र कर रही हैं.

 

वर्चुअल कार्यक्रम को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ संजीव कुमार बालयान और श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने भी संबोधित किया.

इस कार्यक्रम में वस्तुतः किसानों, डेयरी संघों के सदस्यों, डेयरी सहकारी समितियों, अनुसंधान विद्वानों, प्रशासकों आदि ने भाग लिया.

 

उद्घाटन कार्यक्रम के बाद “आनुवंशिक उन्नयन कार्यक्रम में नस्ल सुधार प्रौद्योगिकियों की भूमिका” पर तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, इस सत्र में कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया.

 

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अभी कैसे है किसानों के हालात

कृषि क्षेत्र के जानकार और किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण एक तरफ किसानों को पहले के मुकाबले दूध का 30 फीसदी कम रेट मिल रहा है.

तो दूसरी ओर खल, बिनौला, छिलका, मिश्रित पशु-आहार आदि बनाने वाली मिलें बंद होने या कम क्षमता पर काम करने के कारण इनके दाम 25-30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है.

 

इसका सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. इसीलिए अब किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि सरकार फरवरी के रेट पर किसान का सारा उपलब्ध दूध खरीदे.ताकि ग्रामीणों की आय पर बुरा असर न पड़े.

राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद के मुताबिक गांवों में दूध बिक्री पर आश्रित किसानों की आय गिर गई है.

 

क्योंकि दूध की मांग में इतनी बड़ी गिरावट कभी नहीं देखी गई थी. इस गिरावट के कारण किसानों को पहले के मुकाबले 25 से 30 फीसदी कम पैसा मिल रहा है. दुग्ध सहकारी समितियां पैसा नहीं दे रही हैं. जबकि दूध का उत्पादन जस का तस है.

 

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