डीएपी होगा और सस्ता! इफ्को तीन देशों में बनाएगा फर्टिलाइजर प्लांट

भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों को समय पर जरूरी खाद उपलब्ध कराने के लिए इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने एक बड़ा कदम उठाया है।

संस्था अब श्रीलंका, जॉर्डन और सेनेगल जैसे देशों में नए उर्वरक संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है।

इन देशों में रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड जैसे आवश्यक कच्चे माल की प्रचुरता है, जिन्हें भारत बड़ी मात्रा में आयात करता है।

इफ्को का मानना है कि यदि उत्पादन इकाइयां सीधे उन देशों में स्थापित की जाएं जहां यह कच्चा माल आसानी से उपलब्ध है, तो भारत को स्थिर, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति मिल सकेगी।

 

श्रीलंका में नए प्लांट की तैयारी

इफ्को श्रीलंका में एक नया फर्टिलाइजर प्लांट लगाने पर विचार कर रहा है। श्रीलंका रॉक फॉस्फेट का बड़ा स्रोत है, जिसका उपयोग डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और फॉस्फोरिक एसिड बनाने में किया जाता है।

वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में जहां कच्चे माल की उपलब्धता अनिश्चित है, श्रीलंका में यूनिट लगने से IFFCO को लगातार गुणवत्ता वाला कच्चा माल मिल सकेगा और उत्पादन में स्थिरता आएगी।

 

जॉर्डन में उत्पादन क्षमता दोगुनी करने की तैयारी

जॉर्डन में इफ्को पहले से ही एक बड़ा उर्वरक संयंत्र संचालित करता है। अब इसकी क्षमता 5 लाख टन से बढ़ाकर 10 लाख टन करने की योजना है।

यह विस्तार भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि जॉर्डन दुनिया के प्रमुख रॉक फॉस्फेट उत्पादक देशों में से एक है।

उत्पादन क्षमता बढ़ने से भारत को अधिक डीएपी उपलब्ध हो सकेगा और बढ़ती घरेलू मांग को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।

 

सेनेगल में हिस्सेदारी बढ़ाने या नया प्लांट लगाने की योजना

सेनेगल में इफ्को की आंशिक हिस्सेदारी पहले से मौजूद है। अब संस्था या तो मौजूदा हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है या एक बिल्कुल नई यूनिट स्थापित करने की तैयारी में है।

सेनेगल में भी रॉक फॉस्फेट के बड़े भंडार मौजूद हैं, जिससे यह देश भारत के लिए एक रणनीतिक साझेदार बन जाता है। यहां नया निवेश भारत की दीर्घकालीन खाद आपूर्ति सुरक्षा को मजबूत करेगा।

 

इफ्को के एमडी ने बताई मुख्य वजह

इफ्को के मैनेजिंग डायरेक्टर के. जे. पटेल के अनुसार, आज वैश्विक स्तर पर खाद उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे पदार्थों की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण हो गई है।

कभी कीमतें बढ़ जाती हैं और कभी कच्चे माल की शिपमेंट में देरी हो जाती है। ऐसे में कच्चे माल के स्रोत वाले देशों में फर्टिलाइजर प्लांट लगाना सबसे प्रभावी समाधान है। इससे लागत भी कम होगी और आपूर्ति में स्थिरता भी आएगी।

 

भारत की खाद आवश्यकता और चुनौतियां

भारत में रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड का घरेलू उत्पादन लगभग नगण्य है, जिसके कारण इन्हें पूरी तरह विदेशों से आयात करना पड़ता है।

हर साल भारत को करीब 10–11 लाख टन डीएपी की जरूरत पड़ती है, जिसमें से लगभग आधा हिस्सा विदेशों से लाना पड़ता है।

वैश्विक तनाव, युद्ध, सप्लाई चेन में व्यवधान और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण भारत में डीएपी के उत्पादन की लागत बढ़ जाती है। विदेशों में कारखाने लगने से इन चुनौतियों को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

 

इफ्को के वित्तीय और उत्पादन आंकड़े

वित्त वर्ष 2025 में इफ्को ने 41,244 करोड़ रुपए का टर्नओवर हासिल किया और 2,823 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया।

इस दौरान संस्था ने 9.31 लाख टन उर्वरक का उत्पादन किया और 11.38 लाख टन बिक्री की। इसके अलावा संस्था ने 45.6 मिलियन बोतल नैनो यूरिया भी तैयार किया, जिनमें से 36.5 मिलियन बोतलें किसानों तक पहुंचाई गईं।

यह दर्शाता है कि इफ्को लगातार उत्पादन क्षमता और तकनीकी नवाचार पर काम कर रहा है।

 

किसानों को मिलेगा सीधा लाभ

विदेशों में नए प्लांट लगने से भारत को कच्चा माल समय पर और कम लागत पर मिल सकेगा। इससे डीएपी और अन्य उर्वरकों की कीमतें स्थिर रहेंगी और किसानों को समय पर खाद उपलब्ध होगी।

आपूर्ति की गारंटी बढ़ने से कृषि उत्पादन को भी मजबूती मिलेगी। इफ्को की यह अंतरराष्ट्रीय विस्तार योजना भारतीय किसानों के लिए एक लंबे समय तक चलने वाला समाधान साबित हो सकती है।

अंततः, इफ्को की यह पहल न केवल भारत की खाद सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि किसानों के लिए खेती को और आसान और किफायती भी बनाएगी।

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