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छत-बालकनी, कहीं भी बिना मिट्टी के करें बागवानी

हाइड्रोपोनिक तकनीक से किसानी में लागत भी काफी कम आती है.

इस तकनीक में पौधे केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में उगाए जाते हैं.

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में पौधों के विकास के लिए जलवायु का कोई खास रोल नहीं होता है.

 

ये तकनीक आएगी काम

खेती-किसानी में नई-नई तकनीकें सामने आने लगी हैं. इन्हीं में से एक तकनीक है हाइड्रोपोनिक.

हाल-फिलहाल में शहरों में इस तकनीक के जरिए गार्डनिंग करने का चलन तेजी से बढ़ा है.

इस तकनीक में पौधे को लगाने से लेकर विकास तक के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है.

 

इस तकनीक में लागत बेहद कम

हाइड्रोपोनिक तकनीक से गार्डनिंग करने में लागत भी काफी कम आती है.

इस तकनीक में पौधे केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में उगाए जाते हैं.

इसमें पौधों के विकास के लिए जलवायु का कोई खास रोल नहीं होता है.

इस तरीके से फार्मिंग के लिए आपको ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती है.

 

हाइड्रोपोनिक सेटअप बेहद आसान

हाइड्रोपोनिक तकनीक से बागवानी करने के लिए एक सेटअप तैयार करना होगा. यह सेटअप बेहद आसानी से तैयार हो जाता है.

एक या दो प्लांटर सिस्टम से आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं.

सबसे पहले आपको एक कंटेनर या एक्वारियम लेना पड़ेगा. इसमें पानी भर दें.

इसके अंदर एक छोटा सा मोटर लगा दें, जिससे अंदर पानी का फ्लो बना रहे.

कंटेनर के निचली सतह पर प्लास्टिक पाइप में होल करके लगा दें. इसमें आप छोटे-छोटे गमले फिट कर दें.

गमले के अंदर चारकोल से चारों ओर से कवर दें. जिसके बाद गमले में नारियल की जटों का पाउडर डाल दें और उसके ऊपर बीज डाल दें.

 

विदेशी पौधे भी लगा सकते हैं

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग तकनीक के जरिए आप उन पौधों को भी लगा सकते हैं जो विदेशी हैं, या जो यहां की जलवायु पर नहीं उगाई जाती हैं.

इसके तहत आप गोभी, पालक, स्ट्राबेरी, शिमला मिर्च, चेरी टमाटर, तुलसी, लेट्यूस सहित कई अन्य सब्जियाें और फलों का उत्पादन कर सकते हैं.

 

पौधे रोग के शिकार नहीं होते

हाइ़ड्रोपोनिक फार्मिंग में मिट्टी की जरूरत नहीं होने की वजह से ये पौधे जल्द किसी रोग के भी शिकार नहीं होते हैं.

रोगों के दूर रहने से इसमें पौधे भी काफी तेजी से विकास करते हैं. और उनका उत्पादन भी काफी अच्छा होता.

साथ ही लोगों को बिना कीटनाशक के उगाई गई सब्जी और फल भी हासिल हो जाते हैं.

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