उन्नत किस्में
आज हम अपने इस लेख में आपको अक्टूबर माह में बोई जाने वाली उन सब्जियों के नाम एवं उनकी उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं.
जिनकी खेती कर आप अच्छा उत्पादन के साथ– साथ आप अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है.
अक्टूबर महीना साल का सबसे बेहतरीन महीनों में से एक होता है. इस माह में न तो बहुत सर्दी पडती है और न ही बहुत गर्मी.
जिस वजह से इस माह में सब्जियों के जल्दी खारब होने की सम्भावना कम रहती हैं.
आमतौर पर अक्टूबर महीने में ब्रोकली, फूलगोभी, मूली, टमाटर, पलक आदि की खेती की जाती है.
किसान भाई इन सब्जियों की बुवाई कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है.
तो आइये जानते हैं इस सब्जियों की उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से –
मूली की उन्नत किस्में
- पूसा चेतकी – मूली की यह किस्म 40 – 50 दिन में तैयार हो जाती है. इस कसिम से किसान प्रति एकड़ 100 क्विंटल फसल की उपज प्राप्त कर सकता है. इस किस्म की खेती पूरे भारत में की जा सकती है. यह किस्म सफ़ेद एवं मुलायम होती है.
- पूसा हिमानी – मूली की यह किस्म 50 – 60 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसान प्रति एकड़ 128 से 140 क्विंटल फसल की उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म की जडें लम्बी, सफ़ेद एवं तीखी होती है.
- जापानी सफेद – मूली की यह किस्म 45 – 55 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसान प्रति एकड़ 100 से 120 क्विंटल फसल की उपज प्राप्त कर सकता है.
- पूसा रेशमी – मूली की यह किस्म 55 – 60 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसान प्रति एकड़ 126 से 140 क्विंटल फसल की उपज प्राप्त कर सकता है. इस किस्म की जडें 30 से 35 सेंटीमीटर लम्बी होती है.
ब्रोकली
ब्रोकली फूलगोभी की तरह दिखने वाली एक प्रकार की सब्जी है. यह फूलगोभी की श्रेणी में आती है. यह हरे रंग की होती है.
ब्रोकली में निम्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जैसे – आयरन, विटामिन, कैल्सियम, फॉस्फोरस आदि जो हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायी होते हैं.
इसकी खेती के लिए अक्टूबर माह उचित माना जाता है.
ब्रोकली की उन्नत किस्में
के.टी.एस.-1 – ब्रोकली की यह किस्म का डंठल बहुत कोमल होता है. इस किस्म का औसतन वजन 200 – 300 ग्राम का होता है.
इस किस्म की खासियत है कि यह रोपाई के 80 – 90 दिनों के बाद किस्म तैयार हो जाती है.
पालक समृद्धि – ब्रोकली की यह किस्म का डंठल लम्बा एवं कोमल होता है. इस किस्म का औसतन वजन 200 – 300 ग्राम का होता है.
इस किस्म की खासियत है कि यह रोपाई के 85 – 90 दिनों के बाद किस्म तैयार हो जाती है.
ब्रोकोली संकर – 1 – ब्रोकली की यह किस्म का डंठल बहुत कोमल होता है. इस किस्म का औसतन वजन 600 – 800 ग्राम का होता है.
इस किस्म की खासियत है कि यह रोपाई के 60 – 65 दिनों के बाद किस्म तैयार हो जाती है.
इस किस्म का शीर्ष भाग हरे रंग के साथ – साथ गठीला भी होता है.
टी.डी.सी. -6 – ब्रोकली की यह किस्म का डंठल बहुत कोमल होता है. इस किस्म का औसतन वजन 600 – 800 ग्राम का होता है.
इस किस्म की खासियत है कि यह रोपाई के 65 – 70 दिनों के बाद किस्म तैयार हो जाती है.
इस किस्म का शीर्ष भाग हरे रंग के साथ – साथ गठीला भी होता है.
पालक
पालक की इन किस्मों- पालक में आयरन विटामिन ‘ए’, प्प्रोटीन , एस्कोब्रिक अम्ल, थाइमिन, रिबोफ्लेविन तथा निएसिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जो हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायी होते हैं.
पालक की उन्नत किस्में
- आल ग्रीन – पालक की यह किस्म के पत्ते हरे एवं मुलायम होते हैं. यह किस्म 15 – 20 दिन में तैयार हो जाती है.
- पूसा हरित – पालक की यह किस्म गहरे हरे रंग के होने के साथ- साथ अकार में बड़े होते हैं. इस किस्म की खेती पहाड़ी इलाकों में पूरे वर्ष की जाती है. इस किस्म के पौधे ऊपर की तरफ बढ़ते हैं. इस किस्म की खासियत यह है कि यह हर प्रकार की जलवायु एवं मिटटी में उगाई जा सकती है.
- पूसा ज्योति – पालक की इस किस्म के पत्ते मुलायम, रसीली तथा बिना रेशेदार होते हैं. इस किस्म की पत्तियां माध्यम आकार की होती हैं. इस किस्म में पोटेशियम, कैल्शियम, सोडियम तथा ऐसकर्बिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
फूलगोभी की उन्नत किस्में
अक्टूबर माह फूलगोभी की खेती के लिए बहुत उचित माना जाता है.
फूलगोभी की कुछ उन्नत किस्में हैं जैस कि इम्प्रूव्ड जापानीज, पूसा दिवाली, पूसा कातकी, पंता सुभरा आदि, जिसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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