गुजरात के पाटन जिले के छोटे से गांव मणुंद के रहने वाले धीरेन सोलंकी सरकारी नौकरी ढूंढ रहे थे.
नौकरी हासिल करने में असफल रहने पर उन्होंने डंकी फार्मिंग यानी गधी पालन करने का फैसला किया.
इससे हर महीने वह 3 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं.
हर महीने कर रहा 3 लाख रुपये तक की कमाई
आपने गाय और भैंस पालन के सहारे किसानों को अच्छी कमाई करते हुए देखा होगा.
शायद ही आपने ये देखा या सुना होगा कि कोई किसान गधी पालन से हर महीने लाखों की कमाई कर रहा है.
ज्यादातर लोग जिस जानवर को बस सामान ढोने के उपयोग लाते हैं.
दुनिया भर में कई पशुपालक उससे लाखों की आमदनी कर रहे हैं.
दुनिया का सबसे महंगा बिकने वाला दूध गधी का ही है.
नौकरी नहीं मिली तो डंकी फार्मिंग की शुरुआत की
गुजरात के पाटन जिले के छोटे से गांव मणुंद के रहने वाले धीरेन सोलंकी सरकारी नौकरी ढूंढ रहे थे.
नौकरी हासिल करने में असफल रहने पर उन्होंने डंकी फार्मिंग यानी गधी पालन करने का फैसला किया.
दक्षिण भारत से इस बारे में जानकारी हासिल की.
फिर अपने गांव में करीबन 8 महीने पहले 22 लाख की लगत से छोटी सी जगह लेकर 20 डंकी के साथ गधी पालन की शुरुआत की.
5 महीने तक नहीं हुई आमदनी
गुजरात में गधी के दूध की अहमियत के अभाव के कारण धीरेन को 5 महीने तक कुछ भी आमदनी नहीं हुई.
फिर उन्हें पता चला दक्षिण भारत में गधी के दूध की सबसे ज्यादा डिमांड है.
धीरेन ने दक्षिण भारत की कुछ कंपनियों से संपर्क किया.
इसके बाद धीरे-धीरे दूध की सप्लाई कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में भेजना शुरू किया.
7000 रुपये लीटर तक बिकता है गधी का दूध
कॉस्मेटिक्स की कंपनियों में गधी के दूध की काफी डिमांड है. इसका 1 लीटर 5000 से 7000 हजार रुपये तक बिकता है.
इस दूध से बना पाउडर विदेशों में 1 लाख से 1.25 लाख रुपये में बिकता है.
दूध खराब न हो इसके लिए इसे निकालने के बाद तुरंत फ्रीजर में रखना होता है. फिर इसे अन्य जगहों पर पहुंचाया जाता है.
प्रोटीन से भरपूर गधी का दूध
गधी के दूध की बात की जाए तो इसकी प्रोटीन संरचना और आइपोएलर्जेनिक गुण इसे मानव दूध का आदर्श विकल्प बनाते हैं.
अगर गाय के दूध से इसकी तुलना की जाए तो गधी के दूध में 9 गुना अधिक टॉरिन होता है.
यह एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो शिशुओं में विकास को बढ़ावा देता है.
माना जाता है कि 19 वीं सदी की शुरुआत में गधी का दूध शिशुओं, बीमार बच्चों को पीने के लिए दिया जाता था.
औषधीय प्रयोग में लाया जाता है गधी का दूध
गधी के दूध को यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में मान्यता प्राप्त है. यह बेहद पतला और सफेद होता है.
इसका स्वाद मीठा होता है. उच्च पोषण सामग्री की वजह से इसे औषधीय प्रयोग में भी लाया जाता है.
इसका उपयोग गठियां, खांसी, सर्जिकल घाव, अल्सर आदि को ठीक करने में किया जाता है.
फ्रांस और इटली में तो गधी के दूध से साबुन भी बनाया जा रहा है.
हर महीने 3 लाख रुपये तक की कमाई
धीरेन के फार्म में आज 42 गधी हैं. वह इसमें तकरीबन 38 लाख रुपये की पूंजी लगा चुके हैं.
1 डंकी औसतन 800 ml दूध देती है. धीरेन इसका व्यापार वेबसाइट के जरिए भी करते हैं.
इससे उन्हें हर महीने 2 से 3 लाख रुपये की आमदनी हासिल हो जाती है.
भारत में भी गधी पालन की काफी संभावनाएं हैं. किसान इसके जरिए अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं.