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पराली को खाद बना देगा ये कैप्सूल! बढ़ाएगा मिट्टी की उर्वरता

पूसा इंस्टीट्यूट के मुताबिक बायो डिकंपोजर की 4 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है.

25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ में किया जा सकता है.

ये पराली को कुछ ही दिनों में ही सड़ाकर खाद बना सकता है.

 

जानें इस्तेमाल का सही तरीका

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान( पूसा) ने पराली जलाने की समस्या से पैदा होने वाले प्रदूषण से छुटकारा दिलाने के लिए एक बायो डीकंपोजर बनाया था.

यह बायो डीकंपोजर कुछ ही दिनों में पराली को गलाकर खाद बनाने की क्षमता रखता है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके इस्तेमाल के दौरान प्रोटोकॉल का पूरा पालन करना चाहिए, तभी इसका उपयोग ज्यादा प्रभावी साबित होगा.

 

मिट्टी की उर्वरता में बढ़ावा

वैज्ञानिकों के मुताबिक उचित उपयोग से केवल प्रभावी पराली निपटान में  ही फायदा नहीं होगा बल्कि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी.

पराली जलाने की घटनाएं उत्तर भारत में एक बड़ी समस्या बनकर आई है.

इसके चलते दिल्ली-एनसीआर समेत पड़ोसी राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी से जोड़ा गया है.

 

20 दिनों में लगभग 70-80 प्रतिशत पराली खाद में होगी तब्दील

इस साल नवंबर में एनसीआर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बार-बार 400 और 450 की ‘गंभीर’ और ‘गंभीर प्लस’ सीमा को पार कर गया.

वैज्ञानिकों का कहना है कि पूसा बायोडीकंपोजर एक माइक्रोबियल समाधान है जो लगभग 20 दिनों में लगभग 70-80 प्रतिशत पराली अवशेषों को खाद में बदल सकता है.

 

4 कैप्सूल से बना सकते हैं 25 लीटर तक घोल

पूसा इंस्टीट्यूट के मुताबिक बायो डिकंपोजर 4 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है.

25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ में किया जा सकता है.

ये पराली को कुछ ही दिनों में ही सड़ाकर खाद बना सकता है. इसके लिए धान की कटाई के बाद तुरंत इसका छिड़काव किया जाना चाहिए.

छिड़काव करने के बाद पराली को जल्द से जल्द मिट्टी में मिलाना या जुताई करना बेहद जरूरी है.

 

कैसे बनता है घोल

घोल बनाने के लिए सबसे पहले 5 लीटर पानी मे 100 ग्राम गुड़ उबाला जाता है.

ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम बेसन मिलाकर कैप्सूल घोलना होता है. इसके बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखा जाता है.

पराली पर छिड़काव के लिए बायो-डिकम्पोजर घोल तैयार हो जाता है.

इस घोल को जब पराली पर छिड़का जाता है तो 15 से 20 दिन के अंदर पराली गलनी शुरू हो जाती है.

धीरे-धीरे ये पराली सड़कर खेत में खाद बन जाएगी.

इससे जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ावा मिलता है, जो आने वाली फसलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

डिंकपोजर छिड़कने के बाद अवशेष और फसल को पलटना भी जरूरी है. इससे पराली गलने की प्रकिया में तेजी आती है.

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