बारिश बाद सब्जियों की खेती के लिए खेत अनुकूल होते हैं। इससे बंपर फसल मिल सकती है। नमी ज्यादा रहने पर कीट-रोगों का ध्यान रखें।
आलू की खेती
आलू बोया जा सकता है। ये जल्दी पकते हैं। आलू की बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर कर लें। यह सस्ती और आर्थिक फसल है।

तुरई की खेती
मक्का, तिल, बाजरा, मूंग लोबिया, या उडद फसलों की कटाई के बाद बरसात की नमी का पूरा उपयोग कर तुरई उगाकर करें।
धनिया व हरी मिर्च की खेती
बहुत ही कम जगह में इन्हें आसानी से उगाया जा सकता है। यह जल्दी तैयार हो जाती हैं। मिट्टी में गोबर की खाद मिलाएं।

मूली व खौरे की खेती
मूली व खौरे की खेती के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती। यह डेढ़-दो महीने में ही पककर तैयार भी हो जाती हैं।

फलियों की खेती
फलियों की अच्छी पैदावार के लिए किसी दीवार या रस्सी की जाली बनानी चाहिए। यह प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत है।

टमाटर की खेती
इसकी खेती वर्ष में कभी भी की जा सकती है, लेकिन इस समय बोने से अच्छी पैदावार होती है। इसकी खेती बेड बनाकर होती है।

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