हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

नवम्बर-दिसम्बर महीने में फलों की खेती करने वाले किसान करें यह काम

 

नवम्बर-दिसम्बर फलों की बागवानी के लिए सलाह

 

सर्दी के मौसम की शुरूआत हो चूकी है, यह समय पेड़ों में नई पत्ती आने का है, वहीँ कई फलों के नये बाग़ लगाने के लिए भी यह उचित समय है|

सर्दी के बाद पेड़ों में फल लगाना शुरू हो जाते हैं इसलिए पेड़ों की उचित देखभाल करना जरुरी है|

वर्षा का मौसम खत्म होने के साथ ही पेड़ों की जड़ों में कीट रोग लगने की सम्भावना रहती है|

जिसका समय पर ध्यान देना जरुरी है, इसके लिए फलों के बागों से खरपतवार साफ़ करना जरुरी है|

कृषि वैज्ञानिकों ने नवम्बर तथा दिसम्बर माह में फलों के पेड़-पौधों की देखभाल के लिए सलाह जारी की है|

 

कैसे करें अभी आंवला की देखभाल

कई क्षेत्रों में आंवला के फलों की तुड़ाई का सही समय नवम्बर से फरवरी माह है|

इससे पहले आंवला के पेड़ में बांस–बल्ली से वृक्ष के शाखाओं को सहारा देना जरुरी है|

शाखाओं को सहारा नहीं देने के कारण आंवले के फल के वजन से पेड़ टूट सकते हैं|

यह समय फल के विकास के लिए है, इसलिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए|

ध्यान रहे कि तुडाई से 15 दिनों पूर्व सिंचाई रोक दी जाए, ताकि फल समय पर तैयार हो सके|

पेड़ में दीमक लगने से बचाने के लिए फोरेट 10 जी प्रति पौधा 25 से 30 ग्राम डालकर मृदा में मिला दें|

शूटगाँल कीट से ग्रस्त टहनियों को काटकर जला दें एवं पेड़ों पर डाइमेथोएट 2 मि.ली. एवं मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें|

फलों के झड़ने की समस्या होने पर बोरेक्स (0.6 प्रतिशत) का छिडकाव करें|

दिसम्बर में फलगलन की समस्या होने पर ब्लाइटांक्स (3 ग्राम/लीटर पानी में) के घोल का छिडकाव करें|

तैयार हो चुके फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था भी करें|

 

अनार के बागानों में क्या करें किसान

नवम्बर-दिसम्बर महीने में अनार को बैक्टीरियल ब्लाइट, कवक रोगों और हानिकारक कीटों से बचाने के लिए स्ट्रैप्टोसाइक्लिन (0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में), मैंकोजेब 75 घुलनशील चूर्ण (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) टीपोल या ट्विन 20 (0.5 मि.ली. प्रति लीटर की दर से) का छिडकाव करें|

इसके अतिरिक्त बोर्डो मिश्रण (0.5 प्रतिशत) तथा ब्रोनोपोल (0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में) कैप्टान 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) का पांच से साथ दिनों के अंतराल पर छिडकाव भी लाभकारी होता है|

 

कटहल में करें प्रवर्धन

नवम्बर-दिसम्बर महीने में कटहल के पेड़ की पतली शाखाओं पर नर पुष्प निकलते हैं, जो बाद में झड जाते हैं|

ग्राफ्टिंग द्वारा प्रवर्धन के लिए नवंबर उपयुक्त होता है|

चूर्णिल रोग का प्रकोप होने पर डाइथेन एम–45 (2 ग्राम/लीटर पानी में) का छिड़काव करें|

मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए वृक्ष पर आम की भांति पालीथीन लगाएं|

 

केले में करें यूरिया का छिडकाव

यह समय केले के पौधे के विकास के लिए उचित है, इसलिए प्रति पौधा 55 ग्राम यूरिया का प्रयोग करें|

10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें|

पर्णचित्ती एवं फल सडन रोग के लिए 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें|

| 15 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई अवश्य करें|

 

यदि पौधों पर पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दें तो क्रमश: फेरस सल्फेट (0.5 प्रतिशत), जिंक सल्फेट (0.5 प्रतिशत) और बोरेक्स (0.5 प्रतिशत) का पर्णीय छिड़काव करें|

केला पाले के प्रति बहुत संवेदनशील होता है इसलिए पौधे के पास धुंआ करे और समय–समय पर ओवरहैड फव्वारा विधि द्वारा बाग़ में पानी का छिडकाव करते रहें|

 

नए सेब के बाग़ लगाएं

सेब के बाग़ को नवंबर-दिसम्बर माह में साफ़ करें तथा निराई-गुड़ाई का कार्य करें ,सेब का बाग़ लगाने के लिए गड्ढों को प्रथम सप्ताह तक भर देना चाहिए | जहाँ पर ठण्ड कम है वहां पर पोधों की रोपाई कर सकते हैं|

अच्छी फसल के लिए 2 से 3 किस्मों का होना आवश्यक है|

अधिक ठंड वाले क्षेत्रों में पेड़ की कटाई-छटाई करें | इसके बाद कटे हुए भाग को चौबटिया लेप से लेपन करें|

चौबटिया लेप क्रांप–कार्बोनेट, रेड लेड और अलसी के तेल को 4:4:6 के अनुपात में मिलाकर तैयार कर सकते हैं|

तनासडन रोग की रोकथाम के लिए डायथेन एम-45 अथवा बाविस्टीन के घोल का तने के चारों ओर छिड़काव करें|

सेंजोस स्केल कीट की रोकथाम के लिए हिन्दुस्थान पेट्रोलियम, स्प्रे ऑइल अथवा एग्रो स्प्रे ऑइल का छिडकाव दिसम्बर में अवश्य करें|

 

नींबूवर्गीय फलों की देखभाल

नवंबर–दिसम्बर में बहुत से नींबूवर्गीय फल तुडाई के लिए तैयार होना शुरू हो जाते हैं|इसी समय फलों का पहले गिरना एक गंभीर समस्या है|

फलों को गिरने से रोकने के लिए 10 पी.पी.एम. 2,4-डी (1 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी) का छिड़काव आवश्यक करें|

दिसम्बर में नींबूवर्गीय फलों में गोंदार्ति रोग की आशंका बढ़ जाती है|

इसकी रोकथाम के लिए तने के प्रभावित हिस्से वाली छाल को खुरचकर निकाल दें|

इसके बाद बोर्डो लेप (1:2:20) का प्रयोग खुरचे भाग एवं इसके चारों ओर के स्वस्थ भाग पर करना चाहिए|

दिसम्बर में तैयार फलों को तोडकर बाजार में बेचने की व्यवस्था करें|

 

अंगूर की देखभाल इस तरह करें

नवम्बर तथा दिसम्बर माह में अंगूर के बाग़ की साफ़-सफाई तथा खरपतवार मुक्त करना चाहिए|

हल्की सिंचाई के बाद निराई–गुडाई अवश्य करें| दिसम्बर माह नए उदधान लगाने के लिए अच्छा होता है|

इस माह के अंतिम सप्ताह में एक वर्ष पुरानी जड़ सहित लताओं को गड्ढों के बीच में लगाकर सिंचाई करनी चाहिए|

रोपाई के बाद नीचे से 15 से.मी. की ऊँचाई से पौधों को छांटना चाहिए|

दिसम्बर में अंगूर की लताएँ सुषुप्तास्था में आ जाती है, इस अवस्था में पत्तियां पीली होकर झड़ जाती है इसलिए इस अवस्था में अंगूर की कटाई–छंटाई का कार्य किया जा सकता है|

 

चीकू के बागानों में करें यह काम

इन दो महीनों में चीकू को दीमक से बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफाँस (2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में) का छिडकाव करें|

जमीन के नीचे तथा मुख्य शाखा के निचले हिस्से से निकलने वाले अंकुरों और मूलवृंत से निकलने वाली शाखाओं को निकाल दें|

मृदा की स्थिति, प्रकार, पौधे की आयु एवं अवस्था तथा मौसम की स्थिति के अनुसार सिंचाई करें|

बाग़ से खरपतवारों को निकालते रहें तथा बाग़ में सफाई का ध्यान रखें, ताकि कीटों से होने वाली हानि से बचा जा सके|

source

 

यह भी पढ़े : गेहूं की इन 5 उन्नत किस्मों की करिए खेती

 

यह भी पढ़े : गेहूं और सरसों की अच्छी पैदावार के लिए वैज्ञानिक सलाह

 

यह भी पढ़े : किसानो को सलाह, प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम गेहूं का उपयोग बुआई में करें

 

शेयर करे