भारतीय किसान संघ मध्य प्रदेश में 16 सितंबर को सोयाबीन के दाम बढ़ाने के लिए आंदोलन की घोषणा कर चुका है।
संघ के अनुसार, मप्र में दाम कम होने के कारण किसानों के पास बीते दो सीजन का सोयाबीन अब तक रखा हुआ है।
सोयाबीन के घटे दामों से परेशान किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद की घोषणा की है।
हैरानी यह कि सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्य मप्र में खरीद नहीं होगी।
सोयाबीन के दाम
घटे दामों के खिलाफ मप्र के किसान लगातार आंदोलनरत हैं। केंद्र की घोषणा के अनुसार सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में की जाएगी।
प्रदेश के किसान न केवल ठगा महसूस कर रहे हैं और तेलंगाना और कर्नाटक का नाम शामिल होने से हैरान भी हैं।
सोयाबीन के रेट 4000 से 4600 रुपये क्विंटल
चुनावी राजनीति को इससे जोड़ा जा रहा है। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये घोषित किया गया है।
बाजार में इस समय सोयाबीन के दाम 4000 से 4600 रुपये क्विंटल ही हैं।
सोपा के अनुसार मप्र में सोयाबीन का उत्पादन बीते सीजन में करीब 52 लाख टन रहा।
सिर्फ महाराष्ट्र को खरीद सूची में रखा
महाराष्ट्र में भी उत्पादन 50 लाख टन के आसपास था। सोयाबीन उत्पादन में तीसरे नंबर पर राजस्थान और फिर गुजरात, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्य आते हैं।
हैरानी यह कि केंद्र ने बड़े उत्पादक राज्यों में से सिर्फ एक राज्य महाराष्ट्र को ही खरीद सूची में रखा है।
मध्य प्रदेश से भी खरीद होना चाहिए
मध्य प्रदेश में सोयाबीन के कम दामों को लेकर 16 सितंबर को आंदोलन कर रहे हैं। न सिर्फ सोयाबीन बल्कि हर फसल की सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद करे और हर राज्य से समान रूप से खरीद हो।
मध्य प्रदेश से भी खरीद होना चाहिए। हम यह मांग भी उठा रहे हैं। – अतुल माहेश्वरी, संगठन मंत्री मालवा प्रांत, भारतीय किसान संघ
सस्ते विदेशी तेल से घटे सोयाबीन के रेट
केंद्र सरकार सालभर से खाद्य तेल का शुल्क मुक्त आयात कर रही है। सस्ता विदेशी तेल देश में आने से स्थानीय सोयाबीन के दाम घट गए हैं।
सोयाबीन प्रोसेसर्स आफ इंडिया (सोपा) ने बीते दिनों केंद्र से मांग रखी थी कि तेल के आयात पर ड्यूटी बढ़ा दी जाए।
इससे सस्ता विदेशी तेल नहीं आएगा तो स्थानीय किसानों का सोयाबीन मिलें अच्छे दाम पर खरीदेंगी।
सोपा के डायरेक्टर डीएन पाठक के कहते हैं महाराष्ट्र तो मप्र के बराबरी से सोयाबीन उत्पादन करता है।
तेलंगाना और कर्नाटक में तो बमुश्किल 3 लाख टन उत्पादन होता है। हमें उम्मीद है मध्य प्रदेश का नाम भी जुड़ेगा और आगे तेल पर आयात ड्यूटी भी बढ़ाई जाएगी।
हालांकि सरकार सोयाबीन खरीदकर भी खुद तो तेल बना नहीं सकती। आगे-पीछे वो सोयाबीन मिलों के पास ही आएगा।