प्राकृतिक उर्वरक बनाने का तरीका और इस्तेमाल
किसानों की खेती में हो रहे नुकसान और पैदावार में कमी के चलते अब किसान रासायनिक खाद का उपयोग कम कर प्राकृतिक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
जीवामृत जैसी जैविक विधियों का इस्तेमाल करके किसान बेहद ही कम लागत में बेहतर उपज पा रहे हैं.
इस लेख में जानिए कि जीवामृत से किसानों को क्या-क्या लाभ मिल रहे हैं और इसे घर पर कैसे बनाया जा सकता है.
देशभर में किसान खेती से जुड़ी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इसकी प्रमुख वजह है रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग, जिससे मिट्टी की उर्वरता घट रही है और फसल की पैदावार कम हो रही है.
ऐसे समय में किसान अब जीवामृत की ओर आकर्षित हो रहे हैं. जीवामृत एक 100% प्राकृतिक जैविक घोल है, जो देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से तैयार किया जाता है.
इसे अपनाकर किसान खेती में अधिक लाभ कमा रहे हैं और मिट्टी की गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं.
जीवामृत क्या है और क्यों है खास?
जीवामृत में लाभकारी सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं. ये सूक्ष्मजीव मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को घुलनशील बनाकर फसलों की जड़ों तक पहुंचाते हैं, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है और उत्पादन क्षमता दोगुनी हो जाती है.
इसके अलावा, जीवामृत मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ाता है, भूमि को लंबे समय तक उपजाऊ बनाता है और इसकी लागत लगभग शून्य होती है.
घर पर जीवामृत बनाने की सामग्री और तरीका
सामग्री (प्रति 200 लीटर बैच)
- देसी गाय का गोबर – 5 किलो
- गोमूत्र – 5 लीटर
- पानी – 200 लीटर
- गुड़ – 1 किलो
- बेसन – 1 किलो
बनाने का तरीका:
- सभी सामग्री को एक बड़े ड्रम में अच्छे से मिलाएं.
- मिश्रण को खुला छोड़ दें और इसे 48 घंटे तक किसी गर्म जगह पर रखें ताकि इसमें मौजूद सूक्ष्मजीव सक्रिय हो सकें.
- दो दिनों में ही यह मिश्रण पूरी तरह से जीवामृत बनकर तैयार हो जाता है.
इस्तेमाल का तरीका
किसान भाई इस जीवामृत का उपयोग अपनी फसलों में ऐसे करें:
- 1 लीटर जीवामृत को 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
- इस छिड़काव से फसल, बीज और मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है.
कैसे बढ़ती है फसल की पैदावार?
जीवामृत प्राकृतिक घोल होने के कारण खेत की मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है, जो फसलों के लिए प्राकृतिक उर्वरक का काम करते हैं.
इसके उपयोग से:
- पौधों की जड़ों की पकड़ मजबूत होती है.
- मिट्टी से पोषक तत्वों का अवशोषण कई गुना बढ़ जाता है.
- पौधे रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनते हैं.
- दाने, फल और सब्जियों का आकार, स्वाद और गुणवत्ता बेहतर होती है.
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