सरसों रबी सीजन में तिलहन की प्रमुख फसल है। सरसों की फसल में बुआई से लेकर कटाई तक यानि की पूरे फसल चक्र के दौरान कई तरह के कीट एवं रोग लगने की संभावना बनी रहती है।
इसमें सरसों की फसल में लगने वाला चैपा या मोयला रोग का कीट प्रमुख है।
ऐसे में किसान समय पर इस कीट का नियंत्रण कर फसल के नुकसान को कम कर सकें इसके लिए कृषि विभाग अजमेर द्वारा परामर्शिका जारी की गई है।
कीट का नियंत्रण
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शंकर लाल मीणा ने बताया कि मोलया (एफिड) लगभग 2 मिमी लम्बे, अण्डाकार, स्लेटी या जैतूनी हरे रंग के नन्हे कीट है, जो तेजी से प्रजनन करके भारी संख्या में पनपते है व पौधे के कोमल भाग से रस चूसकर पौधों को नुकसान पहुँचाते है।
अधिक प्रकोप के कारण पत्तियों का मुड़ना, पीला पड़ना और सूखना जैसे लक्षण दिखाई देते है।
किसान इस तरह करें मोयला (Aphid) कीट का नियंत्रण
कृषि विभाग अजमेर के संयुक्त निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि मोयला (Aphid) के नियंत्रण के लिए काइसोपरला का 50000 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 दिन के अन्तराल पर दो बार छोड़ें।
अंडो को लकड़ी के बुरादे में मिलाकर डस्टर से भुरकाव करें। मित्र फंफूद वर्टीसीलियम लेकानी 5 ग्राम या 5 मि.ली. का प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
इस मित्र फंफुद को काम लेने वाले पदार्थ के 1 ग्राम में 10 करोड़ सीएफयू (कॉलोनिल फार्मिंग यूनिट) उपस्थिति होने पर उत्पाद की गुणवत्ता अच्छी होती है।
कीट का प्रकोप होते ही एजेडीरेक्टिन 0.03 ई.सी. (नीम आधारित कीटनाशक) का 2 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करना चाहिए।
कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर अर्थात् पौधे की मुख्य शाखा की ऊपरी भाग की 10 सेमी की लम्बाई में मोयला की संख्या 20-25 से अधिक होने पर विभागीय, खण्डीय सिफारिशानुसार कीटनाशी रसायनों का सुबह या शाम के समय खड़ी फसल में छिड़काव व भूरकाव कर नियंत्रण करे।
उन्होंने बताया कि मोयला कीट का प्रकोप दिखने पर राज्य सरकार के निर्देशानुसार कीट का प्रकोप आर्थिक दहलीज स्तर से अधिक होने पर फसल को उपचारित करने के लिए अनुदान पर कीटनाशी रसायन कृषकों को उपलब्ध करवाये जाते है।