चना रबी सीजन की मुख्य दलहन फसलों में से एक है, ऐसे में किसान इसका उत्पादन बढ़ाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए कृषि विभाग द्वारा सलाह जारी की जाती है।
इस कड़ी में रबी के दौरान चने की फसल में होने वाले फली छेदक कीट का प्रबन्धन करने के लिए कृषि विभाग द्वारा सलाह जारी की गई है।
कृषि विभाग द्वारा जारी सलाह में फली छेदक कीट की पहचान और उसके नियंत्रण के लिए उपाय बताये गये हैं।
कृषि विभाग ने जारी की सलाह
अजमेर जिले के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शंकर लाल मीणा ने बताया कि फली छेदक कीट की लटे हरे रंग की 1.25 इन्च लम्बी, 0.25 इन्च मोटी होती है, जो बाद मे गहरे भूरे रंग की हो जाती है।
यह आरंभ में पत्तियों को खाती है, फली लगने पर इरागे छेद करके अन्दर का दाना खाकर खोखला कर देती है।
इस तरह करें फली छेदक कीट का नियंत्रण
कृषि विभाग ने फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए उपाय सुझाए गए है। फली छेदक कीट का प्रकोप बढ़ने पर उनके अण्डे एवं सुण्डियों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
खेत में 4-5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। कीट के नियंत्रण के लिए तम्बाकू की सुखी पत्तियों का 3 प्रतिशत का घोल बनाकर फूल लगने व फली बनते समय छिड़काव करें।
कीट नियंत्रण के लिए फसल में एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम (0.15 प्रतिशत ईसी), 5 मिली लीटर पानी का छिड़काव करें।
50 प्रतिशत फूल आने पर पहला छिड़काव एन.पी.वी. 250 एल.ई. प्रति हेक्टेयर की दर से तथा दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद बेसिलस थुरिंजिनेसिस के 1200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए।
कृषि विभाग के निदेशक ने बताया कि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर अर्थात लट प्रति गीटर से अधिक होने पर विभागीय सिफारिशानुसार कीटनाशी रसायनों का सुबह या शाम के समय खड़ी फसल में छिड़काव व भूरकाव कर नियंत्रण करे।
विभाग द्वारा कीट-व्याधि का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने पर कृषकों को अविलंब अनुदान पर पौध संरक्षण रसायन उपलब्ध करवाते हुए कीट-व्याधि का नियंत्रण व प्रबंधन किया जाए।
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