आलू के साथ मक्का की खेती करें किसान

किसान अपने खेत में मिश्रित यानी सहफसली खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस विधि से एक साथ दो फसलों की खेती होती है.

इस मौसम में किसान आलू के साथ मक्का की खेती कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे.

 

कम समय में होगा डबल मुनाफा

किसान मिश्रित यानी सहफसली खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस विधि से एक साथ दो फसलों की खेती होती है.

यह ऐसी खेती है, जिसमें किसानों को दोगुनी आय मिलती है वह भी एक साथ दो फसलों की खेती करते हुए.

इसमें मौसम और मिट्टी का ध्यान रखते हुए आसानी से एक साथ दो फसलों की खेती की जा सकती है. इस मौसम में किसान आलू के साथ मक्का की खेती कर सकते हैं.

इसके लिए आलू और मक्का की मिश्रित खेती में आलू को मक्का के बीच-बीच में लगाया जाता है. इतना ही नहीं बल्कि उसी खेत में आलू के अलावा राजमा और बाकला की भी खेती की जा सकती है.

 

ऐसे करें मिश्रित खेती

दो या दो से अधिक फसलों को एक ही खेत में और एक ही मौसम में उगाया जाता है तो उसे अंतर्वती या मिश्रित खेती कहते हैं.

इससे खरपतवार नियंत्रण, पौध संरक्षण, खाद और उर्वरकों के प्रयोग में आसानी रहती है. साथ ही एक फसल दूसरी फसल के विकास और वृद्धि को प्रभावित नहीं करती है.

इस प्रकार आलू के साथ मक्का की सहफसली खेती करके मक्का फसल को बिना कोई क्षति पहुंचाए इसी जमीन से आलू की फसल लगाकर दोहरा लाभ कमाया जा सकता है.

 

किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इस खेती में जो खर्च होता है, उससे बहुत अधिक आमदनी हो जाती है. एक ही खेत में 3-4 क्विंटल तक आलू की पैदावार हो जाती है.

इसी खेत में डेढ़ क्विंटल तक मक्का मिल जाता है. वहीं, किसान मक्का के साथ आलू या आलू के साथ राजमा की खेती कर सकते हैं या मक्का के साथ राजमा की खेती की जा सकती है. 

आलू के साथ मक्का की इंटरक्रॉपिंग की जाती है. इसमें आलू की खुदाई पहले हो जाती है, जबकि मक्का की कटाई बाद में होती है.

इस खेती में एक ही खर्च में दोहरा लाभ मिलता है. खेत में एक ही बार खाद देना होता है, जिससे अच्छी पैदावार मिल जाती है. वहीं, आलू-मक्का या मक्का-बाकला की खेती में दो बार सिंचाई करने की जरूरत होती है. 

अन्य फसलों की बात करें तो किसान आलू, मूली, मटर और राजमा की खेती एक साथ कर सकते हैं. इस मिश्रित खेती से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है.

साथ ही खेतों में मक्का के साथ अन्य फसलों का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर हो सकता है. इन फसलों को बेचकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.

इसमें ध्यान ये रखना होता है कि मक्का की बुवाई करने से पहले खेत की गहरी जुताई जरूर करें.

बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से 10-15 टन गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट जरूर दें. अधिक उपज लेने के लिए हाइब्रिड किस्म के बीजों को लगा सकते हैं.

 

यह भी पढ़ें : क्या 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल सकता है सोयाबीन का दाम?

WhatsApp Group Join Now

Leave a Comment