धान की फसल को बौनेपन से बचाने के लिए किसान करें यह काम

देश में खरीफ फसलों की बुआई का समय हो गया है, खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल धान है। ऐसे में किसान कम लागत में धान (बौनेपन) की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा लगातार सलाह दी जा रही है।

इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की गई है।

किसानों को यह सलाह धान की फसल को बौनेपन से बचाने के लिए दी गई है।

 

करें यह काम

विश्वविद्यालय द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि अभी चावल की नर्सरी में स्पाइनारियोविरिडे समूह के वायरस कई स्थानों पर देखा गया है। इस वायरस से प्रभावित पौधे बौने एवं ज्यादा हरे दिखाई देते हैं।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बी.आर. काम्बोज ने बताया कि अभी संक्रमण छोटे स्तर पर है।

इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर संक्रमण की रोकथाम के लिए कारगर कदम उठायें ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके।

 

धान को बौनेपन से बचाने के लिए क्या करें

वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार मलिक ने बताया कि अगेती नर्सरी बुआई पर सावधानीपूर्वक नजर रखनी चाहिए और प्रभावित चावल के पौधों की उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए या खेतों से दूर मिट्टी में दबा देना चाहिए।

असमान विकास पैटर्न दिखाने वाली नर्सरी के पौधे की रोपाई नहीं करें। हॉपर्स से नर्सरी की सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है।

इसके लिए कीटनाशकों डिनोटफ्यूरान 20: एसजी 80 ग्राम या पाइमेट्रोजिन 50: डव्ल्यूजी 120 ग्राम प्रति एकड़ 10 ग्राम या 15 ग्राम प्रति कनाल नर्सरी क्षेत्र में छिड़काव करें।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 के दौरान धान की फसल में पहली बार एक रहस्यमयी बीमारी की सूचना दी थी जिसके कारण हरियाणा राज्य में धान उगाने वाले क्षेत्रों में पौधे बौने रह गये थे। जिससे सभी प्रकार की चावल किस्में प्रभावित हुई थी।

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