किसान इस समय करें गेहूं, चना, सरसों सहित अन्य रबी फसलों में सिंचाई

फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए उन्हें समय पर पानी देना जरुरी है, ऐसे में किसान सही समय पर गेहूं, चना सहित अन्य फसलों की समय पर सिंचाई कर सके इसको लेकर कृषि विभाग सीहोर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक द्वारा सलाह जारी की गई है।

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार खेत की मिट्टी, फसल की किस्म, वृद्धि काल, मिट्टी में जीवांश की मात्रा को ध्यान में रखते हुए किसानों को सिंचाई की योजना बनानी चाहिए।

 

सिंचाई की योजना बनायें किसान

कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक सिंचाई के लिए किसानों को जल स्त्रोत से पानी सीधे खेतों में नहीं छोड़ना चाहिए।

खेत में लंबाई ढलान की ओर 4 से 6 मीटर नालियाँ बनाएं और मेढ़ के सहारे मुख्य नाली के क्रम से सिंचाई के लिए जल छोड़ें।

पौधों की बाहरी दशा (जैसे पत्तियों का मुरझाना, पत्तियों का रंग कम होना) व मिट्टी के भौतिक गुण के आधार पर सिंचाई के समय का पता लग सकता है।

इसके अलावा किसान खेत की मिट्टी में टेन्शियोमीटर का उपयोग कर मृदा नमी का पता लगा सकते हैं।

 

किसान गेहूं की फसल में सिंचाई कब करें

वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार गेहूं की फसल में किसानों को क्रांतिक अवस्थाओं जैसे किरीट जड़, कल्ले बनने का समय, गभोट, पुष्पन व दुग्ध अवस्था, में सिंचाई करना आवश्यक होता है।

  • गेहूं की फसल में एक सिंचाई उपलब्ध होने पर किरीट जड़ अवस्था (20 से 25 दिन) पर सिंचाई करें।
  • दो सिंचाई उपलब्ध होने पर किरीट जड़ (20 से 25 दिन) एवं पुष्पन अवस्था (80 से 85 दिन) पर सिंचाई करें।
  • तीन सिंचाई उपलब्ध होने पर किरीट जड़ (20 से 25 दिन) गभोट अवस्था (60 से 65 दिन) एवं दुग्ध अवस्था (100 से 105 दिन) पर सिंचाई करना चाहिए।
  • चार सिंचाई उपलब्ध होने पर किरीट जड़ (20 से 25 दिन) कल्ले फूटते समय (40 से 45 दिन), पुष्पन अवस्था (80 से 85 दिन) एवं दुग्ध अवस्था (100 से 105 दिन) पर सिंचाई करना चाहिए।

 

चना, मसूर, सरसों और मटर में कब सिंचाई करें

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि चना, मसूर, मटर, सरसों व जौ चने की फसल में प्रथम सिंचाई फूल आने से पहले (40 से 45 दिन) एवं द्वितीय सिंचाई घेटी में दाना बनते समय (95 से 100 दिन) पर करना चाहिए।

मसूर में प्रथम सिंचाई शाखा बनते समय (40 से 45 दिन) एवं द्वितीय सिंचाई घेटी में दाना बनते समय (80 से 85 दिन) पर करें।

मटर में प्रथम सिंचाई फूल आने से पहले (40 से 45 दिन) एवं द्वितीय सिंचाई दाना बनते समय (80 से 85 दिन) पर करें।

सरसों में प्रथम सिंचाई फूल आने से पहले (40 से 45 दिन) द्वितीय सिंचाई फलियां बनते समय (60 से 65 दिन) एवं तृतीय सिंचाई फलियों में दाना भरते समय (80 से 50 दिन) पर करें।

जौ में प्रथम सिंचाई कल्ले फूटते समय (35 से 40 दिन) पर एवं दूसरी सिंचाई दुग्ध अवस्था पर करना चाहिए।

 

किसान इन बातों का रखें ध्यान
  • किसानों को सिंचाई का काम क्रांतिक अवस्थाओं में ही करना चाहिए।
  • भूमि, जलवायु व फसल की मांग के आधार पर ही किसानों को सिंचाई करना चाहिए।
  • प्रथम सिंचाई बहाकर ही करें यदि पानी की उपलब्धता कम हो तो स्प्रिंकलर विधि अपनाएं।

 

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