कृषि विभाग ने जारी की सलाह
गर्मी के सीजन में लगाई जाने वाली मूंग की बुआई का समय हो गया है, जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की गई है।
कृषि विभाग ने अपनी सलाह में ग्रीष्मकालीन मूंग फसल पर पैराक्वाट एवं ग्लाइफोसेट (सफाया) का उपयोग न करने तथा कम से कम पेस्टीसाइडस का छिड़काव करने को कहा गया है।
कृषि विभाग के मुताबिक ग्लाइफोसेट एक शाकनाशी दवा है जो खरपतवारों को नष्ट करने के लिए उपयोग की जाती है।
ग्लाइफोसेट दवा का साधारण तौर पर उपयोग मूंग की फसल में लगने वाली सकरी एव चौड़ी पत्तियों वाले पौधों को मारने के लिए किया जाता है।
कृषि विभाग के मुताबिक ज्यादातर किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल की कटाई हार्वेस्टर द्वारा कराते हैं तथा हार्वेस्टर से कटाने के लिए फसल को जल्द सुखाया जा सके इसके लिए पैराक्वाट एवं ग्लाइफोसेट का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है।
इससे मानव ही नही बल्कि अन्य जीवों जैसे पशु-पक्षियों, मछलियों आदि के तंत्रिका तंत्र की संरचना और उनकी कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचाता है।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है दवा
ग्लाइफोसेट पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक अमीनो एसिड के उत्पादन को अवरूद्ध करके उन्हें नष्ट कर देता है।
ग्लाइफोसेट मिट्टी और पानी में मौजूद रह सकता है और यह कृषि के लिए लाभदायक कुछ सूक्ष्मजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
इसके उपयोग से पाचन, श्वसन, तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। इसके साथ ही यह आंखों के लिए नुकसानदायक है।
इसके संपर्क में आने से आंख, त्वचा, नाक एवं गले में जलन और अस्थमा हो सकता हैं।
यदि इसे निगल लिया जाए तो गले मे जलन, दर्द, मितली हो सकते है।