किसान इस तरह करें पाले से अपनी फसलों का बचाव

देश में अभी तेज ठंड की स्थिति बनी हुई है जिसमें देश के अधिकांश उत्तर भारतीय राज्यों में अभी शीतलहर चल रही है जिसके चलते रबी फसलों को काफी नुकसान होने की संभावना है।

शीतलहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। पाले के प्रभाव से पौधे की पत्तियों एवं फूल झुलस कर झड़ जाते हैं तथा अध-पके फल सिकुड़ जाते हैं।

फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं व जो दाने बन रहे हैं वह भी सिकुड़ जाते हैं।

 

किसान इस तरह फसलों को बचाये पाले (शीतलहर) से

  • पौधशालाओं के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों/ नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक दें। वायुरोधी टाटियाँ, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर-पश्चिम की तरफ बांधें। नर्सरी, किचनगार्डन एवं कीमती फ़सल वाले खेतों में उत्तर-पश्चिम की तरफ टाटियाँ बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगायें तथा दिन में पुनः हटायें।
  • जब पाला पड़ने की संभावना हो तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। जिससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
  • जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर घुलनशील गंधक 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) में घोल बनाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर व पाले की संभावना बनी रहे तो छिड़काव को 15-15 दिन के अंतर से दोहराते रहें या थायो यूरिया 500 पी.पी.एम. (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लोहा तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।
  • दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी आदि लगा दिए जाए तो पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है।
  • अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकटतम कृषि कार्यालय में संपर्क करें अथवा किसान कॉल सेंटर के निःशुल्क दूरभाष नम्बर 18001801551 पर संपर्क करें।

 

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